चक्रधरपुर : मदरसा फैजुल कुरआन दंदासाई वार्ड संख्या 18 चक्रधरपुर का एक छात्र मात्र दस घंटे में मुकम्मल कुरआन का पाठ कर सबों को हैरत में डाल दिया है. अररिया बिहार से आकर चक्रधरपुर में पढ़ने वाले इस 16 वर्षीय छात्र का नाम हाफिज मो अबू नसर है. वह मदरसा में कुरआन पाक हिफ्ज कर रहा है. मात्र दस घंटे के अंतराल में मुकम्मल कुरआन शरीफ का जुबानी पाठ कर लेना किसी अचरज भरे काम से कम नहीं है. क्योंकि अच्छे अच्छे हाफिज-ए-कुरआन यह कर नहीं पाते हैं.
उस्ताद मौलाना व हाफिज मो खलील साहब की देखरेख में छात्र ने उक्त कारनामा को अंजाम दिया है. हाफिज नसर को पुरा कुरआन जुबानी याद है. उसने फजर की नमाज अदा करने के बाद कुरआन का पाठ करना शुरू किया. तब सुबह के पांच बज रहे थे. लगातार दोपहर साढ़े बारह बजे तक वह कुरआन पढ़ता रहा. पहली पारी में उसने 19 पारे कुरआन पढ़ डाला. इसके बाद ढ़ाई बजे तक वह आराम किया. जोहर की नमाज अदा किया और भोजन आदि किया. फिर ढ़ाई बजे से शेष कुरआन पढ़ना शुरू किया.
शाम पौने छह बजे तक उसने मुकम्मल कुरआन पढ़ कर सुना दिया. इस दौरान कुछ देर के लिए असर की नमाज अदा करने के लिए वह रुका भी. उसके उस्ताद हाफिज मो खलील साहब कुरआन पाठ को सुनते रहे. मालूम रहे कि कुरआन शरीफ मुसलमानों की धार्मिक किताब है. जिस पर हर मुसलमान का इमान है. क्योंकि यह किताब शुद्ध आसमानी किताब है. जिसका नाजिल (आसमान से जमीन तक आने में) होने में 23 सालों का लंबा वक्त लग गया था. कुरआन में कुल 30 पारे हैं, 6666 आयतें हैं, 114 सुरह हैं, 611 पुष्ट हैं. हाफिज नसर के पढ़ने की गति इतनी तेज थी कि हर 15 मिनट में एक पारा खत्म होता गया. एक घंटे में उसने चार-चार पारे पढ़े. जब हाफिज नसर ने कुरआन का पाठ मुकम्मल किया तो उसके साथी व उस्ताद तथा मदरसा से जुड़ा हर तबके उसे मुकाबरकबाद देता नजर आया. मौलाना खलील ने कहा कि मदरसा का एक छात्र हाफिज मो अफजल ने सालों पहले यह करिश्मा कर दिखाया था. हाफिज नसर मदरसा का दूसरा छात्र है, जिसने यह कारनामा अंजाम दिया है.