चक्रधरपुर : एक पत्नी की मौत के बाद दूसरी पत्नी को डायन करार देकर गांव से निकाल दिया गया, लेकिन पति अपनी पत्नी को इंसाफ दिलाने के लिए दर-दर भटक रहा है. कोई उसकी मदद को सामने नहीं आ रहा है. जिसके कारण वह अब तक अपनी पत्नी को फिर से घर नहीं ले जा पा रहा है. जानकारी के अनुसार बेंगलुरु में राजमिस्त्री का काम करने वाले बासिल हेंब्रम चक्रधरपुर प्रखंड के पेटेढ़ीपा गांव में रहते हैं. चार दिन पहले ही वह बेंगलुरु से घर वापस आया है. अभी वह अपनी पत्नी के साथ चंद दिन भी गांव में नहीं गुजार पाया था कि उनकी पत्नी को रिश्तेदारों ने डायन करार देकर गांव से निकाल दिया. बासिल हेंब्रम की पत्नी को रिश्तेदार सौत को मार डालने का आरोप लगा कर डायन करार दे रहे हैं.
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सौतन के मरने पर डायन बता महिला को रिश्तेदारों ने निकाला
चक्रधरपुर : एक पत्नी की मौत के बाद दूसरी पत्नी को डायन करार देकर गांव से निकाल दिया गया, लेकिन पति अपनी पत्नी को इंसाफ दिलाने के लिए दर-दर भटक रहा है. कोई उसकी मदद को सामने नहीं आ रहा है. जिसके कारण वह अब तक अपनी पत्नी को फिर से घर नहीं ले जा […]
बासिल ने किया है तीन विवाह:बासिल अपनी पत्नी को इंसाफ दिलाने के लिए चक्रधरपुर की गलियों की खाक छान रहा है. बासिल ने प्रभात खबर को बताया कि उसके तीन विवाह हुए थे. पहती पत्नी मालंगती हेंब्रम के साथ 2010 में विवाह हुआ था. उससे एक बेटी का जन्म हुआ. लेकिन जब वह काम करने के लिए बेंगलुरु गया तो पत्नी उसे छोड़ कर गांव के ही एक दूसरे युवक के साथ फरार हो गयी. पत्नी के फरार होने के बाद वह गांव लौटा और हर संभव प्रयास कर उसे साथ रखना चाहा. लेकिन उसने बासिल के साथ रहने से इंकार कर दिया. इसके बाद तीन साल पहले घाघरा गांव निवासी सुनीता सोय के साथ बासिल ने दूसरा विवाह किया. वह लगातार बीमार रहती थी. बासिल पर महिला समूह व सरकारी ऋृण का बोझ था.
करीब चालीस हजार रूपये कर्ज के बोझ से नहीं उबर पाने के कारण पत्नी सुनीता की रजामंदी से उसने तीसरा विवाह एक साल पहले लक्ष्मी हेंब्रम के साथ किया. तीनों में मसौदा तय हुआ कि मिल कर काम करेंगे और कर्ज चुकता करेंगे.
रिश्तेदार लक्ष्मी हेंब्रम को करते थे प्रताड़ित: इस दौरान सुनीता सोय अधिक बीमार हो जाने के बाद उसे मायके घाघरा गांव पहुंचा दिया, जहां तीन माह पहले उसकी मौत हो गयी. इसके बाद सुनीता की मौत का कारण तीसरी पत्नी लक्ष्मी हेंब्रम को बताकर रिश्तेदार प्रताड़ित करते रहे. एक सप्ताह पहले जब वह बेंगलुरु से लौटा तो घर में हंगामा मच गया. रिश्तेदारों ने तीसरी पत्नी को घर से निकालने का दबाव बनाना शुरू किया. लेकिन बासिल हमेशा पत्नी का बचाव करते रहे. तीन दिन पहले अंतत: रिश्तेदारों ने लक्ष्मी हेंब्रम को घर से निकाल दिया और डायन करार देते हुए गांव छोड़ने को कहा.
बासिल के लाख कोशिश के बावजूद मामला नहीं सुलझा, तो वह अपनी पत्नी को पोकुवाबेड़ा गांव स्थित मायके में छोड़ कर पत्नी को इंसाफ दिलाने की कोशिश में जुट गया है. हालांकि वह अभी तक थाने में नहीं गया है. वह केस मुकदमा से बच कर सामाजिक स्तर पर इंसाफ चाहता है.
पत्नी को इंसाफ दिलाने के लिए दर-दर भटक रहा है पति बासिल हेंब्रम
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