चक्रधरपुर : मदरसा तनवीरुल इस्लाम बंगलाटांड के मोहतमीम सह बंगलाटांड मदीना मसजिद में तरावीह सुना रहे हाफिज मो सद्दाम हुसैन ने कहा कि रमजान में हर नेकी का दरजा बुलंद हो जाती है. रमजान में उमरह करने का सवाब हज के बराबर होता है. मुसलिम शहीफ में एक हदीस है हजरत अता कहते हैं मैंने […]
चक्रधरपुर : मदरसा तनवीरुल इस्लाम बंगलाटांड के मोहतमीम सह बंगलाटांड मदीना मसजिद में तरावीह सुना रहे हाफिज मो सद्दाम हुसैन ने कहा कि रमजान में हर नेकी का दरजा बुलंद हो जाती है. रमजान में उमरह करने का सवाब हज के बराबर होता है. मुसलिम शहीफ में एक हदीस है हजरत अता कहते हैं
मैंने हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रजि) से सुना कि रसूल अल्लाह (स.) ने अंसार की एक औरत से फरमाया तुम हमारे साथ हज पर क्यों नहीं चलती हो. औरत ने अर्ज किया हमारे पास सिर्फ दो ऊंट थे एक पर मेरा शौहर और बेटा दोनों हज के लिए गये हैं अब एक ऊंट घर में है, जिस पर हम पानी वगैरह लाते हैं. रसूल अल्लल्लाह ने फरमाया अच्छा जब रमजान आये तो उमरह कर लेना इसका सवाब भी हज के बराबर है.
कयामत के दिन सिफारिश करेगा रोजा
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमरू (रजि) से रवायत है कि रसूल अल्लाह ने फरमाया रोजा और कुरआन कयामत के दिन बंदे के लिए सिफारिश करेगा. रोजा कहेगा ऐ मेरे रब मैंने इस बंदे को खाने-पीने और अपनी ख्वाहिश पूरी करने से रोके रखा, लिहाजा इसके बारे में मेरी सिफारिश कबूल फरमा. कुरआन कहेगा ऐ मेरे रब मैंने इस बंदे को रात में क्याम करने के लिए सोने से रोके रखा, लिहाजा इसके बारे में मेरी सिफारिश कबूल फरमा. अल्लाह दोनों की सिफारिश कबूल फरमायेगा.
रोजा इस्लाम का बुनियादी फर्ज है: रोजा इस्लाम के बुनियादी फरायज में से एक फर्ज है. हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (रजि) कहते हैं रसूल अकरम (स.) ने फरमाया इस्लाम की बुनियाद पांच चीजों पर है. 1. कलम ए शहादत, 2. नमाज कायम करना, 3. जकात अदा करना, 4. हज करना और 5. रमजान के रोजे रखना.
हजरत अबू हुरैरह (रजि) कहते हैं एक एराबी नबी अकरम (स.) की खिदमत में हाजिर हुआ और अर्ज किया मुझे ऐसा अमल बताइये जिसके करने से मैं जन्नत में दाखिल हो जाऊं. आप (स.) ने फरमाया अल्लाह की इबादत कर, उसके साथ किसी को शरीक न कर, फर्ज नमाज कायम कर, फर्ज जकात अदा कर और रमजान के रोजे रख. उसने कहा अल्लाह की कसम मैं इससे ज्यादा कुछ न करूंगा. जब वह आदमी वापस हुआ तो आप (स.) ने फरमाया जिसे जन्नती देखना हो वह इसे देख ले.