एयर निकल जाने से ब्रेक फेल होने का रहता है खतरा
स्र्टाटर बंद हुआ, तो स्टेयरिंग हो सकता है लॉक
– शैलेश सिंह/मनोज कुमार –
किरीबुरू से टाटा व अन्य शहरों तक चलने वाली यात्री बसों के कुछ चालकों के कारण हर दिन सैकड़ों यात्रियों की जान जोखिम में होती है. इंधन के खेल (डीजल बचाने के लिए) में अक्सर बस चालक सारंडा की ढलान वाली घाटी में बस का इंजन बंद कर देते है.
तब बस बंद इंजन में रफ्तार से ढलान पर नीचे उतरती है. तकनीकी रूप से ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है. इंजन के बंद करते ही स्वभाविक प्रक्रिया के तहत संचालित होने वाले वाहन के वैक्यूम सिस्टम के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे ब्रेक फेल हो सकते है और फिर ढलान में बस को रोक पाना शायद असंभव ही नहीं नामुमकीन हो जायेगा.
ऐसे में स्र्टाटर बंद होने से स्टेयरिंग के लॉक हो जाने का भी खतरा बना होता है. यह कदम सीधे-सीधे दुर्घटना को आमंत्रण देने वाला है. चालकों के इस कदम से सैकड़ों यात्रियों की जान हमेशा सांसत में रहती है. सारी स्थिति से अवगत होने के बावजूद भी बस चालक यात्रियों की जिंदगी को संकट में डालते है.
डीजल बचाने के लिए
चालक घाटी के ढलान पर डीजल बचाने के चक्कर में यह रिस्क सहज रूप से ले लेते है. किरीबुरू से जामदा जाने के क्रम में तमाम घाटियों में बस को न्यूट्रल में उतारा जाता है. बताया जाता है कि पूर्व में कई बस दुर्घटनाओं का कारण भी चालकों की इसी लापरवाही से हुआ है. जिसमें यात्रियों की जानें भी जा चुकी है. इसके बावजूद भी बस चालक व मालिकों का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया.