– कोल्हान में तूफान और बारिश ने मचायी तबाही
– कोल्हान में 13 से 15 अक्तूबर तक 60 घंटे तक बिजली आपूर्ति ठप रही
– चाईबासा में दर्जनों घर ध्वस्त, 624 लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली
– घाटशिला में लगभग 500 घर क्षतिग्रस्त, 15 गांवों के सैकड़ों लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली
– सरायकेला में 30 घर क्षतिग्रस्त, सात बिजली पोल और आठ पेड़ गिरे
– जमशेदपुर शहरी इलाके में सात हजार से अधिक घरों में घुसा पानी, दो लाख से अधिक लोग प्रभावित
चाईबासा/घाटशिला/जमशेदपुर : ओड़िशा में आये फैलिन के बाद कोल्हान में आंधी और भारी बारिश से 13 व 14 अक्तूबर को जमशेदपुर सहित पूरे कोल्हान में जनजीवन अस्त–व्यस्त हो गया. कोल्हान में बहनेवाली सभी नदियों में उफान आ गया था. पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला–खरसावां जिले में सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हुए. कई सड़कें बह गयीं. सैकड़ों एकड़ में लगी धान व सब्जी आदि की फसल बर्बाद हो गयी.
कई जगह पेड़ और बिजली के पोल उखड़ गये. कोल्हान के अधिकतर इलाकों में लगभग 60 घंटे तक बिजली कटी रही जो 15 सितंबर को देर शाम आयी. इस दौरान सैकड़ों लोगों ने प्रशासन द्वारा बनाये गये राहत शिविरों में शरण ली.
चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम में दो दिनों तक हवाओं के थपेड़ों के साथ हुई लगातार बारिश से चाईबासा शहर के लगभग डेढ़ दर्जन घर ढह गये है. वहीं सैकड़ों घरों में पानी घुस जाने के कारण 624 लोग राहत शिविरों में शरण लेने को विवश हुए. जिले के खई इलाकों में दर्जनों पेड और बिजली के पोल गिरे. सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद होने की भी सूचना है. भारी बारिश के कारण चाईबासा की गरीब बस्ती में लगभग दस घर, गुटूसाही व जेएमपी चौक में एक घर समेत अन्य जगहों में कई घर ढह गये है.
इसी तरह कमारहातु जाने वाली सड़क लाइम स्टोन माइंस के पास भूस्खलन के कारण ढह गयी है. जिसके कारण यह मार्ग पूरी तरह से कट गया है. इसी तरह चाईबासा से जमशेदपुर जाने वाली एनएच-75 पर कई डायवर्सन बह गया है. जिसके कारण यातायात बाधित हुई.
घाटशिला : उधर पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला में भी तूफान और बारिश से काफी नुकसान हुआ है. यहां बहरागोड़ा और मुसाबनी में सर्वाधिक नुकसान देखा गया. सैकड़ों एकड़ में लगी धान और सब्जी की फसल बर्बाद हो गयी है. लगभग 500 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं. 15 गावों के लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली. 15 अक्तूबर को थोड़ी राहत मिली.
सरायकेला–खरसावां : सरायकेला में 30 घरों की छत उड़ गयी. सात बिजली के पोल और आठ पेड़ उखड़ गये. बाढ़ में तिरील बिला पुल और संजय नदी पर बने पुल के जलमग्न हो जाने से 13 और 14 अक्तूबर को खरसावां तथा राजनगर का संपर्क सरायकेला मुख्यालय से कट गया था. 15 अक्तूबर को स्थिति सामान्य हुई.
जमशेदपुर : सुवर्णरेखा व खरकई नदी का रौद्र रूप महानवमी और महादशमी को दिखा. ओड़िशा में सभी डैमों के फाटक खोल दिये जाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई. यह पानी जमशेदपुर शहर के करीब सात हजार से अधिक घरों में प्रवेश कर गया. सर्वाधिक नुकसान मानगो और बागबेड़ा के अलावा कदमा, सोनारी इलाके में हुआ, जहां कई रिहायशी इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया.
कई फ्लैट, कांप्लेक्स और बस्तियों में बाढ़ का पानी घुसा. हालात को संभालने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने सेना को राहत कार्य के लिए उतारा. एनडीआरएफ की टीम भी यहां पहुंच गयी और हालात को संभालने की कोशिश की. किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. 15 अक्तूबर को नदी का जलस्तर तेजी से नीचे गया, जिसके बाद लोगों ने राहत ली.
बिजली बोर्ड को 20. 6 करोड़ की संपत्ति का नुकसान
बिजली बोर्ड को इस दौरान भारी क्षति हुई है. बताया गया कि दो दिनों तक बिजली न रहने से राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ है. दो दिनों में बोर्ड का राजस्व करीब 15 करोड़ होता है. दो पावर ट्रांसफारमर जल गये हैं. एक पावर ट्रांसफारमर की कीमत 30 लाख से अधिक होती है. फैलिन के कारण बोर्ड को लगभग 20.6 करोड़ का नुकसान हुआ है. यह आकलन सभी छह एरिया बोर्ड के जीएम से बातचीत के आधार पर किया गया है. बोर्ड के तमाम अभियंता अभी बिजली व्यवस्था बनाने में लगे हुए हैं.