30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नशे की गिरफ्त में कराह रहा बचपन

चाईबासा शहर समेत जिले में बढ़ रहीं नशे के आदी बच्चों की संख्या शाम होते ही हाथों में नशीली पुड़िया थामे बच्चे दिख जाते हैं शहर में नशे के लिए बचपन को झुलसा रहे अनाथों पर प्रशासन का ध्यान नहीं चाईबासा : चाईबासा शहर के बीच स्थित न्यू जैन मॉर्केट कॉम्प्लेक्स के ईद-गिर्द शाम ढलते […]

चाईबासा शहर समेत जिले में बढ़ रहीं नशे के आदी बच्चों की संख्या

शाम होते ही हाथों में नशीली पुड़िया थामे बच्चे दिख जाते हैं शहर में
नशे के लिए बचपन को झुलसा रहे अनाथों पर प्रशासन का ध्यान नहीं
चाईबासा : चाईबासा शहर के बीच स्थित न्यू जैन मॉर्केट कॉम्प्लेक्स के ईद-गिर्द शाम ढलते ही नशे की गिरफ्त में कराह रहे लावारिस बच्चों का बचपन देखा जा सकता है. यहां बच्चे सुलेशन सूंघते, हाथ में नशीली पुड़िया थामे दिख जाते हैं. वहीं चाईबासा रेलवे स्टेशन के बाहर व बस स्टैंड के आसपास ऐसे दर्जनों बच्चे दिख जाते हैं.
बच्चों के लिए काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था बाल मुक्ति सेवा संस्थान के संयोजक सदन कुमार ठाकुर ने जनवरी 2019 में एक सर्वे कराया. इसके अनुसार पश्चिमी सिंहभूम में 14 हजार 666 बच्चे किसी न किसी नशे के शिकार हैं. इनमें सबसे अधिक सूंघने वाले नशे के आदी 11,545 बच्चे हैं. इसमें 13,013 किशोर, जबकि 1653 किशोरियां शामिल हैं. सबसे बड़ी संख्या चाईबासा शहर के ईद-गिर्द है.
सूंघने वाला नशा सबसे घातक
नशे के लिए सुलेशन का इस्तेमाल घातक है. सुलेशन की एक ट्यूब महज 20 से 25 रुपये में बच्चों को आसानी से किराना स्टोर या पान-गुटखा आदि दुकान से उपलब्ध हो जाती है. सदर अस्पताल के डिप्टी सुप्रिटेंडेंट डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम ने बताया कि सुलेशन सूंघने पर सीधा व्यक्ति के फेफड़े व आंत में चिपक जाता है. यह गंभीर रोग को दावत देता है.
पंक्चर ठीक करने वाले सुलेशन से करते हैं नशा : हाथों में पॉलिथीन थामे, उसे मुंह में लगाकर फुलाते बच्चों को दूर से देखकर ऐसे प्रतीत होता है मानो वे खेल रहे हैं. इसे गुब्बारे की तरह फूलाते और पुचकाते हैं. जब इसके पीछे की सच्चाई जानने की कोशिश की गई तो, चौंका देना वाला डरावना सच सामने आया. दरअसल ये बच्चे नशे के आदी हो चुके हैं. ये बच्चे पंक्चर ठीक करने में काम में आने वाले सुलेशन को प्लास्टिक की थैलियों में भरकर सूंघते हैं. इसके नशे में दिनभर चूर रहते हैं.
जिले में नशा मुक्ति केंद्र नहीं
चाईबासा समेत पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक भी नशा मुक्ति केंद्र नहीं है. इस कारण सड़कों से लावारिस व नशे करते रेस्क्यू किये गए बच्चों को रिमांड होम में रखा जाता है. इससे नशे में लिप्त बच्चों में सुधार नहीं होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें