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2015 से चल रहा बैंक, न सुरक्षा प्रहरी और न ही सीसीटीवी कैमरा

चाईबासा : उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक टुंगरी के उक्त मकान में 2015 से चल रहा है. दो साल पहले ही इसे बैंक की मान्यता मिली है. लेकिन इसके बावजूद बैंक में सुरक्षा के नाम पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. बैंक द्वारा सुरक्षा प्रहरी की नियुक्ति नहीं की गयी है. यहां तक की […]

चाईबासा : उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक टुंगरी के उक्त मकान में 2015 से चल रहा है. दो साल पहले ही इसे बैंक की मान्यता मिली है. लेकिन इसके बावजूद बैंक में सुरक्षा के नाम पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. बैंक द्वारा सुरक्षा प्रहरी की नियुक्ति नहीं की गयी है. यहां तक की बैंक में सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगा है.

दो कमरे के इस बैंक में जहां एक कमरे में बैंक मैनेजर व कैशियर बैठते हैं. वहीं अन्य एक कमरे को बैंक कर्मचारी आवास के तौर पर उपयोग में लाते हैं. जबकि ऊपरी मंजिल पर मकान मालिक का परिवार रहता है. पूरे बिल्डिंग का प्रवेश द्वारा एक ही है. अन्य बैंकों की तरह बैंक के समय में ग्रील वाले इस फाटक में न तो चेन लगा हुआ था और न ही सुरक्षा का कोई अन्य बंदोबस्त था.

बैंक में नहीं रहता था कैश : भले ही उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक लेन-देन का कारोबार करता है. लेकिन बैंक में कार्य समय के बाद किसी तरह का कैश नहीं रखा जाता है. रोजाना ट्रांजेक्शन के अनुसार कैश लाया जाता है. वहीं जरूरत पड़ने पर बैंक के सरायकेला शाखा से कैश मंगाया जाता है. लोन वितरण का काम चलने के कारण पिछले पांच छह दिनों से बैंक की ओर से करीब पांच लाख रुपये तक बांटे जा रहे थे.
मैं फोन करने के लिये बैंक से बाहर निकल रहा था. इसी दौरान डकैत एक-एक कर बैंक में घुस रहे थे. मैं बाहर निकल भी नहीं पाया था कि डकैत एक्शन में आ गये. उन्होंने मुझे फोन करते देखा तो देशी कट्टा लहराते हुये फोन जेब में रखकर एक ओर बैठने को कहा.
सुरेंद्र दास, ग्राहक
मैं बैंक में अपनी बेटी व पति के साथ बैंक से ऋण निकालने पहुंची थी. दोपहर के समय बैंक में 6 बदमश घुस आये. उन्होंने हम सभी को हथियार की नोक पर लेकर आदिवासी भाषा में चुपचाप बठने की धमकी दी. उन्होंने बैंक के ग्राहकों के साथ कोई बदसलूकी नहीं की.
सरस्वती दास, ग्राहक

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