नोवामुंडी : नक्सल प्रभावित हमसदा, ताड़ेया व सुकरीपाड़ा गांव बदहाल
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27 वर्षों से पुल अधूरा, चुआं के पानी से बुझ रही प्यास
नोवामुंडी : नक्सल प्रभावित हमसदा, ताड़ेया व सुकरीपाड़ा गांव बदहाल बारिश होते ही टापू बन जाता है गांव, अबतक नहीं पहुंचा प्रशासन नोवामुंडी : नोवामुंडी में सुकरीपाड़ा नदी पर बना रहा पुल 27 वर्षों से अधूरा है. इसके कारण बारिश के मौसम में तीन गांव हमसदा, ताड़ेया व सुकरीपाड़ा टापू बन जाते हैं. ग्रामीणों को […]
बारिश होते ही टापू बन जाता है गांव, अबतक नहीं पहुंचा प्रशासन
नोवामुंडी : नोवामुंडी में सुकरीपाड़ा नदी पर बना रहा पुल 27 वर्षों से अधूरा है. इसके कारण बारिश के मौसम में तीन गांव हमसदा, ताड़ेया व सुकरीपाड़ा टापू बन जाते हैं. ग्रामीणों को सात किमी घूमकर प्रखंड मुख्यालय नोवामुंडी तक आना पड़ता है. घने जंगल से घिरा तीनों गांव नक्सल प्रभावित अतिसंवेदनशील वन क्षेत्र है. यहां नक्सलियों के इशारे के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है.
सड़क पर फैले पत्थर से पैदल चलना भी है दूभर
तीनों गांव में मौलिक सुविधाएं नहीं है. गांव तक पहुंच पथ ग्रेड-1 सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. सड़क की पुलिया धंस गयी है. सड़क पर फैले पत्थर से पैदल चलना भी दूभर है. दूधबिला पंचायत के हमसदा गांव में बिजली नहीं पहुंची है. ताड़ेया में सड़क किनारे पोल गिराकर विद्युतीकृत क्षेत्र घोषित कर दिया गया.
वनोपज पर आश्रित हैं ग्रामीण: हमसदा, ताड़ेया व सुकरीपाड़ा के ग्रामीण वनोपज पर आश्रित हैं. लकड़ी, पत्ता, दातुन बेचकर जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं. ग्रामीण चुआं का गंदा पानी पीते हैं. हमसदा प्रावि में लगे एकमात्र चापाकल से गंदा पानी निकलता है. गांवों में स्वास्थ्य विभाग कभी झांकने नहीं जाता है. पूजा-पाठ कर ग्रामीण बीमारी का इलाज करते हैं.
चुनाव में वोट मांगने आते हैं मुखिया व विधायक : ग्रामीणों का कहना है कि विधायक व मुखिया केवल चुनाव आने पर आते हैं. पीएम आवास योजना, मनरेगा समेत लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा. रेडियो सुनकर ग्रामीणों ने राशन कार्ड का फार्म भर जमा किया था.
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