गांवों में दफन हो जा रहे 90 फीसदी आपराधिक मामले
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नक्सली क्षेत्रों में 20 किमी के दायरे में थाने की मांग
गांवों में दफन हो जा रहे 90 फीसदी आपराधिक मामले गांवों में सुविधाओं के अभाव में अंधविश्वास फैल रहा कई गांवों से 70-80 किमी दूर पर है थाना मामले दर्ज कराने में ग्रामीणों को होती है परेशानी किरीबुरू : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 20 किलोमीटर के दायरे में थाना या ओपी खोलने की मांग उठने […]
गांवों में सुविधाओं के अभाव में अंधविश्वास फैल रहा
कई गांवों से 70-80 किमी दूर पर है थाना
मामले दर्ज कराने में ग्रामीणों को होती है परेशानी
किरीबुरू : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 20 किलोमीटर के दायरे में थाना या ओपी खोलने की मांग उठने लगी है, ताकि गांवों में ही दफन हो जानेवाले 90 प्रतिशत आपराधिक मामले सामने आ सकें तथा उनका निपटारा हो सके. फिलहाल पश्चिम सिंहभूम के दो नव सृजित थानों, जेटेया एवं टोंटो का लाभ भी उक्त थानों के ग्रामीणों को अबतक नहीं मिल पा रहा है.
दोनों ही थाने अपने क्षेत्र से अलग, दूसरी जगह से चल रहे हैं. टोंटो थाना का अपना भवन बनकर तैयार है, लेकिन लंबे समय से थाना झींकपानी स्थित एसीसी कंपनी के आवास में चल रहा है. दूसरी तरफ जेटेया थाना का अपना भवन नहीं बन पाया है. यह थाना जगन्नाथपुर के पुराना थाना भवन में चल रहा है. दोनों थानों के क्षेत्र पूरी तरह नक्सल प्रभावित हैं, जहां सड़क से लेकर विकास से जुड़ी तमाम समस्याओं का अंबार लगा है. इससे ज्यादा बड़ी समस्या यह है कि ऐसे जंगल व दूर स्थित गांवों में कोई सुविधा नहीं होने से वहां अंधविश्वास, जमीन विवाद, डायन प्रथा आदि की जड़ें गहरी पैठ चुकी हैं.
दस प्रतिशत मामले ही आते हैं सामने
पिछले कुछ दशकों में उदाजो, बुंडू, अगरवां आदि दर्जनों गांवों में दर्जनों आपराधिक घटनाएं व क्रूर हत्याएं हुईं, जिनमें से कुछ तो बहुत मुश्किल से थानों तक पहुंचे, जबकि नब्बे फीसदी मामले गांव में ही दफन होकर रह गये. कुलसुता गांव निवासी शैलेन्द्र सवैयां समेत बुंडू, अगरवां, कदालसोपवा, आकाहाटा, राजाबासा, पोखरीबुरू,बांकी, पिउलबेड़ा, रूटागुट्टू, मटईबुरू आदि के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांवों से टोंटो थाना की दूरी 70-80 किलोमीटर है. ग्रामीण इतनी दूर पैदल चल कर कैसे शिकायत दर्ज कराने जायेंगे. टोंटो थाना प्रभारी या पुलिस इन गांवों में कभी गश्त या दौरा नहीं करती. यहीं स्थिति जेटेया थाना पुलिस की भी है.
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