सरायकेला. ओडिया समुदाय के पंचुक व्रत के तहत स्थानीय जगन्नाथ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा पाठ चल रहा है. इसमें ओडिशा के पुरी से आये कथावाचक रत्नाकर नायक कथावाचन कर रहे हैं. कथा का शुभारंभ शनिवार को हुआ. रविवार को रत्नाकर नायक ने राजा परीक्षित के जन्म, चंद्रवंश व सूर्यवंश की उत्पत्ति व ऋषि श्रंग के आगमन की कथा सुनायी. कार्यक्रम शाम 6.30 बजे शुरू होकर रात 9.30 बजे तक चला. कथावाचक ने बताया कि राजा परीक्षित का जन्म अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र के रूप में हुआ था, जो महाभारत युद्ध के बाद कुरुवंश के अंतिम उत्तराधिकारी बने. जब अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने का प्रयास किया, तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपने योगबल से मृत शिशु को पुनर्जीवित किया. इस पुनर्जन्म के कारण ही उनका नाम परीक्षित पड़ा. क्योंकि उन्होंने जन्म लेते ही अपने अनुभवों का परीक्षण किया. कथा में यह भी बताया गया कि परीक्षित कलियुग के प्रारंभ का प्रतीक माने जाते हैं और उन्होंने मोक्ष प्राप्ति के लिए भागवत कथा का श्रवण किया. साथ ही चंद्रवंश, सूर्यवंश की उत्पत्ति और ऋषि श्रंग के प्रसंगों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया. कथा से पूर्व भजन संध्या आयोजित की गई, जिसमें ओडिशा से आए कलाकारों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया. आयोजन समिति में राजा सिंहदेव, बादल दुबे, राजेश मिश्रा, गणेश सतपथि, कोल्हु महापात्र, सुमित महापात्र तथा अन्य सदस्यों की सक्रिय भूमिका सराहनीय रही.
एकादशी पर भक्तों ने मां जगधात्री से लिया आशीर्वाद
सरायकेला. राजनगर के हेंसल गांव में आयोजित पांच दिवसीय मां जगधात्री पूजा पर रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. देवउठनी एकादशी होने पर बंगाल, ओडिशा सहित झारखंड के विभिन्न जिलों के लोग हेंसल पहुंचे. यहां मेला का भी आयोजन किया गया. तीन नवंबर को प्रतिमा विसर्जन के साथ पूजा का समापन होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

