खरसावां में बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा पर ओड़िया समुदाय के लोगों ने पारंपरिक ‘बोइत बंदाण उत्सव’ श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में लोगों ने नदी-सरोवरों में कार्तिक स्नान किया और उसके बाद सदियों पुरानी उत्कलीय परंपरा के अनुसार केले के पेड़ की छाल से बनी छोटी-छोटी नावों को सजाकर जल में प्रवाहित किया. स्नान और पूजा के उपरांत महिलाओं ने दीप प्रज्ज्वलित कर उन्हें नावों में रखकर नदी में प्रवाहित किया. इन नावों को केले के पौधे की तने की छाल, कागज और थर्माेकॉल से तैयार कर रंग-बिरंगे फूलों और दीपों से सजाया गया था. युवक-युवतियों ने भी बड़ी संख्या में भाग लेते हुए अपनी कलात्मक नावें जल में प्रवाहित कीं. स्थानीय भाषा में इस परंपरा को ‘डोंगा भोसा पूनेई’ कहा जाता है. नदी तटों पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की गयी. दीपों की ज्योति और रंगीन नावों से नदी तट का दृश्य मनमोहक हो उठा.
प्राचीन वाणिज्यिक परंपरा की स्मृति को जीवंत करता है बोइत बंदाण
‘बोइत बंदाण’ उत्सव ओड़िया समुदाय की प्राचीन वाणिज्यिक परंपरा की स्मृति को जीवंत करता है. इस अवसर पर ओड़िया संस्कृति के जानकार प्रो. अतुल सरदार ने बताया कि प्राचीन काल में ओड़िया व्यापारी समुद्री मार्ग से बड़े-बड़े नावों पर सवार होकर जावा, सुमात्रा, बोर्नियो और श्रीलंका जैसे देशों में व्यापार करने जाया करते थे. मान्यता है कि वर्षा ऋतु के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्यापारिक यात्राओं का शुभारंभ होता था. यात्रा मंगलमय हो और व्यापार समृद्ध हो, इसके लिए पूजा की जाती थी. यही परंपरा आज भी श्रद्धा और सांस्कृतिक गौरव के साथ ‘बोइत बंदाण’ एकता का प्रतीक है.जगन्नाथ मंदिर में भंडारा का आयोजन
सरायकेला. सरायकेला स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा पर बुधवार को महाप्रसाद सह भंडारा का आयोजन किया गया. भंडारा में सैकड़ाें लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया. सुबह में लोगों ने खरकई नदी में स्नान करते हुए भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की. इसके बाद दोपहर में जगन्नाथ सेवा समिति ने भंडारा का आयोजन किया. महाप्रसाद में खिचड़ी, खीर का वितरण किया गया. आयोजन समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव ने बताया कि प्रत्येक पूर्णिमा की तरह कार्तिक पूर्णिमा में भंडारा का आयोजन किया गया.
ओड़िया समुदाय ने भक्तिभाव से मनाया रास पूर्णिमा पर्व
सरायकेला. सरायकेला, सीनी, कोलेबिरा समेत आसपास के क्षेत्रों में बुधवार को ओड़िया समुदाय ने रास पूर्णिमा (कार्तिक पूर्णिमा) बड़े श्रद्धा और उल्लास से मनायी. अहले सुबह महिलाओं ने नदी-तालाबों में स्नान कर भगवान नारायण की पूजा-अर्चना की और केले के तने व थर्मोकोल से बनी नावें प्रवाहित कीं. इसके बाद बालुका पूजा कर परिवार की सुख-शांति की कामना की गयी. सरायकेला के खरकई नदी तट पर जगन्नाथ सेवा समिति द्वारा भगवान जगन्नाथ की पूजा के बाद नाव छोड़ी गयी. समिति ने व्रतधारी महिलाओं के लिए घाट पर लाइटिंग व चाय की व्यवस्था भी की. श्रद्धालुओं की भीड़ से घाटों पर भक्ति का माहौल रहा.खरसावां में विष्णु पंचुक का समापन, राई-दामोदर की हुई पूजा
खरसावां. सरायकेला-खरसावां में बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र विष्णु पंचुक व्रत का पारण श्रद्धापूर्वक किया गया. बड़ी संख्या में महिलाओं ने कार्तिक माह की दशमी से पूर्णिमा तक यह व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना की. कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही पांच दिवसीय पंचुक व्रत का समापन हुआ. अधिकतर घरों में तुलसी मंडप के पास रंग-बिरंगी रंगोली सजायी गयी और राई-दामोदर की पूजा-अर्चना की गयी. पूरे सप्ताह व्रती महिलाओं ने दिनभर एक ही बार सात्विक भोजन ग्रहण कर नियमों का पालन किया. मान्यता है कि विष्णु पंचुक व्रत से मनुष्य के पाप निवारण होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. ओड़िया समुदाय में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. समाज के लोगों ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को सबसे शुभ और पूर्ण दिन माना जाता है. इस पवित्र दिन ओड़िया समाज के लोग दान, पूजन और अन्य पुण्य कार्य करते हैं. व्रत के पारण के साथ ही लोगों ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं और धार्मिक माहौल में क्षेत्र का वातावरण भक्ति रस में डूब गया.खरसावां में कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष पूजा-अर्चना हुई
खरसावां. खरसावां में बुधवार को पवित्र कार्तिक पूर्णिमा पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भक्ति भाव से किया गया. अहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालु बड़ी संख्या में नदी और तालाबों में स्नान के लिए पहुंचे. तड़के चार बजे के आसपास सैकड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगायी. पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, हरि मंदिर और शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना की. हरिभंजा स्थित जगन्नाथ मंदिर में दिनभर भक्तों की भीड़ उमड़ी रही. मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा का आकर्षक शृंगार किया गया था. श्रद्धालुओं ने दीपदान, भजन-कीर्तन और सत्यनारायण कथा जैसे कार्यक्रमों में भाग लिया. कार्तिक माह के इस शुभ अवसर पर कई स्थानों पर प्रसाद वितरण के साथ धार्मिक उत्सव का वातावरण बना रहा. धर्मग्रंथों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पुण्य एवं मोक्ष प्रदान करने वाला दिन माना गया है. मान्यता है कि इस दिन किया गया प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान ईश्वर को अर्पित होता है और पापों से मुक्ति मिलती है.राधे-कृष्ण के नाम से गूंजा वातावरण, दीप प्रवाहित कर की सुख-शांति की कामना की
राजनगर. राजनगर के हेंसल स्थित बड़ा तालाब में बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह से सैकड़ों महिलाएं और श्रद्धालु घाट पर एकत्र हुए, जहां उन्होंने पवित्र स्नान, दान-पुण्य और पूजा-अर्चना की. श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर नौका में रखकर प्रवाहित किया और भगवान श्री हरि व श्री जगन्नाथ से सुख, शांति और समृद्धि की कामना की. वातावरण में ठंडी सुबह की हवा और भक्ति संगीत के बीच राधे-कृष्ण नाम संकीर्तन गूंजता रहा. महिलाएं मंडप के चारों ओर परिक्रमा कर भगवान के जयकारे लगाती नजर आयी. श्रद्धालुओं ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, और इस दिन नदी या तालाब में स्नान व दीपदान करने से पापों से मुक्ति मिलती है तथा घर में सुख-समृद्धि आती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

