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Seraikela Kharsawan News : सांस्कृतिक विरासत को नयी पीढ़ी तक पहुंचा रहा ‘जील जोम’

राजनगर प्रखंड में पारंपरिक उत्सव शुरू, पूरे माह चलेगा आयोजन

राजनगर.

राजनगर प्रखंड के गांवों में आदिवासी समाज की पारंपरिक व सांस्कृतिक धरोहर जील जोम उत्सव सोमवार (एक दिसंबर) से आरंभ हो गया, जो एक माह चलेगा. ग्रामीण क्षेत्र में पर्व को विशेष महत्व दिया जाता है. यह उत्सव आपसी मेल-जोल, पारंपरिक खान-पान और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का महत्वपूर्ण अवसर होता है. विशेष बात यह है कि जील जोम उत्सव प्रत्येक गांव में हर पांच वर्ष बाद मनाया जाता है, ताकि अगली पीढ़ी तक इस परंपरा की स्मृति बनी रहे. जील जोम उत्सव दो प्रकार के होते हैं. इनमें मारांग जील जोम (डांगरी दोसोन) और हुडिंञ जील जोम (बोदा दोसोन) शामिल हैं.

घरों की सफाई व मेहमानों के लिए बनाते हैं पारंपरिक व्यंजन

उत्सव के दौरान गांवों में लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं. मेहमानों के स्वागत के लिए विशेष पारंपरिक व्यंजन तैयार करते हैं. खास तौर पर हड़िया, चिकन, मटन व अन्य स्थानीय पकवानों की खुशबू से पूरा गांव महक उठता है. ग्रामीणों का कहना है कि इस अवधि में यदि मेहमान घर नहीं भी आएं, तब भी अपने लिए व्यंजन जरूर बनाये जाते हैं.

गांवों में उत्सव की तिथि निर्धारित

राजनगर प्रखंड के बान्दु, बड़ा पहाड़पुर, बुरुडीह आदि गांवों में एक दिसंबर से उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. वहीं चार दिसंबर सारंगपोसी, 5 दिसंबर को गम्हारिया, 7 दिसंबर को सोलगाड़िया, 12 दिसंबर को रिजीतुका, 13 दिसंबर को ऊपरशिला व गुड़हा, 14 दिसंबर को पोटका प्रखंड के छोटा बांधुवा, 27 दिसंबर को पोटका बाड़ेडीह में मनाया जायेगा.

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