– 50 एकड़ जमीन पर लगाये गये है शहतूत के पौधे- पौधारोपण के बाद देख भाल नहीं कर रहा है एनजीओप्रतिनिधि, बड़ाबांबो कुचाई के गांवों में मलबाड़ी सिल्क की खेती कराने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ती नजर आ रही है. मलवाड़ी सिल्क की खेती शुरू करने के लिये कुचाई के पगारडीह, सांकोडीह, बाईडीह व तिलोपदा में करीब 45 एकड़ जमीन पर शहतूत का पौधारोपण किया गया है. सरकार द्वारा एनजीओ के माध्यम से पौधारोपण कराया गया है. परंतु सिंचाई व पानी के अभाव में शहतूत के पौधे मर रहे है. ग्रामीणों ने बताया कि पौधारोपण करने वाली एनजीओ द्वारा पौधों की देखभाल नहीं की जा रही है. सिर्फपौधा लगा कर छोड़ दिया गया है. ऐसे में बड़े पैमाने पर पौधे मर रहे है. अगले वर्ष इन पौधों पर कीट पालन कर मलबाड़ी सिल्क की खेती की योजना है. ऐसे में यह योजना पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है. सिल्क के चार किस्मों में मलबाड़ी सिल्क सबसे उन्नत व विश्व में सर्वाधिक पसंद किये जाने वाला सिल्क कपड़ा है. झारखंड में इसकी खेती काफी कम होती है. मलबाड़ी सिल्क मुख्य रु प से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में होती है. ग्रामीणों ने पौधों की सिंचाई की व्यवस्था करने की मांग की है.
BREAKING NEWS
Advertisement
कुचाई : सिंचाई के अभाव में मर रहे शहतूत के पौधे
– 50 एकड़ जमीन पर लगाये गये है शहतूत के पौधे- पौधारोपण के बाद देख भाल नहीं कर रहा है एनजीओप्रतिनिधि, बड़ाबांबो कुचाई के गांवों में मलबाड़ी सिल्क की खेती कराने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ती नजर आ रही है. मलवाड़ी सिल्क की खेती शुरू करने के लिये कुचाई के पगारडीह, सांकोडीह, बाईडीह व […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement