फोटो 12एसकेएल 4, मुखौटा प्रशिक्षक श्री आचार्य.सरायकेला. पिछले 35 वर्षों से छऊ में एक प्रयोग के उद्देश्य से मुखौटा का निर्माण कार्य में लगे कलाकार दिलीप कुमार आचार्य नित नये मुखौटा बनाने में माहिर है.अपने पिता गुरु केशव चंद्र आचार्य से छऊ व मुखौटा का निर्माण कार्य सीखे श्री आचार्य अपने मुखौटा निर्माण की शैली पर समकालीन कलाकर्मी धीरोलाल भोल के प्रभाव को दिल से स्वीकारते है. कलानगरी सरायकेला के अलावा कई राज्यों व अनेक देशों में आयोजित कार्यक्रमों पर अपने मुखौटा का प्रदर्शन कर चुके दिलीप कुमार आचार्य को अपनी प्रतिभा व कला के हुनर की पहचान तब हुई जब वर्ष 1985 में भारत सरकार के कला व संस्कृति मंत्रालय की ओर से पहली बार उन्हें छात्रवृति प्रदान की गयी. वर्तमान समय में कई कलाकारों को मुखौटा निर्माण का प्रशिक्षण दे रहे श्री आचार्य वर्ष 2012 में संगीत नाटक अकादमी का देशज सम्मान, वर्ष 2014 में मुंबई विश्व विद्यालय के प्रतिर्शीश सम्मान से सम्मानित हो चुके है.
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पिछले 35 वर्षो से छऊ मुखौटा का कार्य कर रहे दिलीप आचार्य
फोटो 12एसकेएल 4, मुखौटा प्रशिक्षक श्री आचार्य.सरायकेला. पिछले 35 वर्षों से छऊ में एक प्रयोग के उद्देश्य से मुखौटा का निर्माण कार्य में लगे कलाकार दिलीप कुमार आचार्य नित नये मुखौटा बनाने में माहिर है.अपने पिता गुरु केशव चंद्र आचार्य से छऊ व मुखौटा का निर्माण कार्य सीखे श्री आचार्य अपने मुखौटा निर्माण की शैली […]
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