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बिहार टीम की जबरन घुसपैठ से प्रक्रिया ठप, 2800 बीघा जमीन पर संकट

सीमांकन विवाद में उलझा साहिबगंज–कटिहार सीमा क्षेत्र, हाई कोर्ट के निर्देश के बाद शुरू हुआ संयुक्त सर्वे

साहिबगंज.

झारखंड और बिहार की सीमाओं से लगे साहिबगंज–कटिहार के खेतिहर क्षेत्रों में वर्षों से लंबित सीमांकन विवाद एक बार फिर गर्मा गया है. झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर दोनों जिलों के प्रशासन साहिबगंज व झारखंड और कटिहार बिहार ने संयुक्त रूप से सीमांकन की प्रक्रिया शुरू की है. पहले दिन दोनों ओर के अंचल अधिकारियों की बैठक में सीमांकन के आधार तय किए गए थे, लेकिन दूसरे ही दिन विवाद खड़ा हो गया. झारखंड प्रशासन ने बिहार की मनिहारी टीम पर आरोप लगाया है कि वह बिना संयुक्त सहमति के झारखंड की सीमा में प्रवेश कर मनमाने ढंग से सीमांकन की कीलें ठोकने का प्रयास कर रही है. इससे न केवल सर्वे की प्रक्रिया रुक गयी है, बल्कि दोनों राज्यों के बीच तनाव की स्थिति भी बनती दिख रही है. वहीं इस विवाद के चलते सीमा क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की जमीन अधर में लटक गयी है, जिससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है.

पहला दिन: बैठक में बनी सहमति, लेकिन मैदान पर बढ़ गया विवाद :

हाई कोर्ट के निर्देश के बाद साहिबगंज से आयी टीम में अंचलाधिकारी बासुकीनाथ टुडू और राजस्वकर्मी शामिल थे. वहीं कटिहार जिले की ओर से मनिहारी अंचल अधिकारी की टीम पहुंची. बैठक में तय हुआ कि इस क्षेत्र में तीन अलग-अलग मौजा की सीमा मिलती है. मनिहारी मौजा (बिहार), पीरपैंती मौजा (झारखंड) और तेलियागड़ी मौजा (झारखंड) तय हुआ कि सीमांकन इन्हीं तीनों मौजा के ऐतिहासिक अभिलेख और राजस्व रिकॉर्ड को मिलाकर किया जाएगा. परंतु वास्तविक स्थल पर पहुंचते ही स्थिति बदल गयी. झारखंड की टीम ने आरोप लगाया कि बिहार की टीम केवल मनिहारी मौजा को आधार मानते हुए सीमांकन करने लगी और संयुक्त प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

बिहार टीम की एकतरफा कोशिश, 2800 बीघा जमीन पर दावा :

झारखंड प्रशासन के अनुसार, मनिहारी की टीम झारखंड की सीमाओं में घुसकर अपने मनमुताबिक कीलें गाड़ रही है. आरोप है कि बिहार की टीम झारखंड की लगभग 2800 बीघा जमीन को मनिहारी मौजा बताते हुए कब्जाने की तैयारी में है, जबकि उस जमीन पर पीरपैंती और तेलियागड़ी मौजा के स्पष्ट राजस्व रिकॉर्ड मौजूद हैं. झारखंड प्रशासन का कहना है कि यदि बिहार की टीम का यह रवैया जारी रहा, तो पूरा सर्वे प्रभावित होगा और सीमा विवाद और अधिक उलझ जाएगा.

दूसरा दिन: झारखंड टीम पहुंची, बिहार टीम अनुपस्थित :

विवाद के बढ़ते तनाव के बाद गुरुवार को साहिबगंज प्रशासन की टीम फिर से सीमांकन स्थल पर पहुंची और मनिहारी टीम का लंबा इंतजार किया. लेकिन बिहार की ओर से कोई अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा. इससे दूसरे दिन भी सर्वे कार्य ठप रहा. ग्रामीणों और स्थानीय किसानों के बीच इस अस्थिरता को लेकर चिंता बढ़ गयी है. किसानों की जमीन पर संकट, दो राज्यों का झगड़ा, नुकसान केवल किसानों का. सीमा विवाद के कारण सैकड़ों किसानों की जमीन का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है. कई लोगों के भूमि दस्तावेज दो राज्यों में विवादित हैं. खेती, बुआई, सिंचाई और सरकारी लाभ लेने में किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खेतों पर कार्य करते समय भी ग्रामीणों को यह भय रहता है कि उनकी जमीन किस राज्य में जाएगी. ग्रामीणों का कहना है कि अदालत के आदेश के बाद उन्हें उम्मीद थी कि अब विवाद खत्म होगा, लेकिन बिहार टीम की एकतरफा कार्रवाई ने स्थिति को और उलझा दिया है.

प्रशासनिक स्थिति और कानून :

कानून के अनुसार, किसी भी सीमा विवाद में संयुक्त सर्वे, पुरानी नक्शानवीसी, राजस्व दस्तावेज और दोनों राज्यों की सहमति आवश्यक होती है. एकतरफा सीमांकन न तो मान्य है और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दोनों पक्ष अब भी एकमत होकर काम नहीं करते, तो मामला फिर अदालत में ही फंसकर रह जाएगा. वर्तमान स्थिति में दोनों राज्यों की सरकारों और वरिष्ठ अधिकारियों को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है. सीमांकन की प्रक्रिया में चल रही यह टकराहट न केवल प्रशासनिक तौर पर चुनौती है, बल्कि ग्रामीण जीवन पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है. अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकारें इस सीमा विवाद को कितनी गंभीरता से लेती हैं और क्या समाधान सामने आता है.

क्या कहते हैं पदाधिकारी :

हाई कोर्ट के निर्देशानुसार निष्पक्ष सीमांकन के लिए लगातार स्थल पर मौजूद रहकर कार्य कर रहे हैं. यह पूरा क्षेत्र तीन मौजा मनिहारी, पीरपैंती और तेलियागड़ी की सीमा पर आधारित है, इसलिए सीमांकन तभी संभव है, जब तीनों मौजा के रिकॉर्ड को संयुक्त रूप से देखा जाए. बिहार की टीम केवल मनिहारी मौजा का आधार लेकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है, जो प्रक्रिया के विरुद्ध है. हम किसी भी स्थिति में झारखंड के भू-भाग के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. हमारी टीम दूसरे दिन भी मौके पर मौजूद रही, लेकिन बिहार की टीम नहीं पहुंची.

– बासुकीनाथ टुडू, अंचलाधिकारी, साहिबगंज.

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