साहिबगंज
रेलवे परिसरों और ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर जीआरपी लगातार गश्त और निगरानी का दावा करती रही है. इसके बावजूद पिछले एक वर्ष में 29 चोरी की घटनाएं दर्ज हुईं, जो सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती हैं. संसाधनों की कमी, सीमित पुलिस बल, बढ़ता यात्री दबाव और अपराधियों की सक्रियता इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं. प्रतिदिन हजारों यात्रियों की आवाजाही के बीच सीमित जवानों के सहारे हर गतिविधि पर नजर रखना कठिन हो जाता है और अपराधी इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं. पिछले 12 महीनों में दर्ज 29 चोरी के मामलों का औसत हर महीने 2 से 3 घटनाओं का है. यह लगभग 8.25 प्रतिशत मासिक अनुपात बनता है. चोरी केवल आंकड़ा नहीं बल्कि यात्रियों की मेहनत की कमाई, दस्तावेज और मानसिक पीड़ा से जुड़ा होता है. कई यात्रियों ने बताया कि भीड़भाड़ वाले प्लेटफॉर्म, रात की यात्रा और लंबी दूरी के सफर में वे निशाना बने. रेलवे सुरक्षा की दूसरी गंभीर तस्वीर यूडी मामलों से सामने आती है. बीते वर्ष में ट्रेन दुर्घटनाओं या चपेट में आने से जुड़े 13 मामले दर्ज हुए. औसतन हर महीने 1 मामला यानी करीब 4.3 प्रतिशत अनुपात. अधिकतर घटनाएं ट्रैक पार करने, चलती ट्रेन से गिरने और लापरवाही के कारण हुईं. चेतावनी व्यवस्था और बैरिकेडिंग की कमी भी जिम्मेदार रही. जीआरपी ने गश्त बढ़ाई, सादे लिबास में जवान तैनात किए और सीसीटीवी निगरानी तेज की. इसके बावजूद चोरी और दुर्घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि मैनपावर और संसाधनों का विस्तार जरूरी है. छोटे और मध्यम स्टेशनों पर सीमित टीम के कारण अपराधियों को मौका मिल जाता है. इन्हीं चुनौतियों के बीच अपहरण कांड संख्या 29/2025 में जीआरपी की तत्परता दिखी. शिकायत पर तुरंत कार्रवाई हुई. विशेष टीम गठित कर तकनीकी साक्ष्य और सीसीटीवी के आधार पर जांच आगे बढ़ाई गई. मुख्य आरोपी गोलू शूटर और विक्की रजक गिरफ्तार हुए. अतुल यादव और नेल्सन जॉन ने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया. दो आरोपी अब भी फरार हैं जिनकी तलाश में छापेमारी जारी है. जांच में प्रयुक्त चार पहिया वाहन जब्त किया गया जबकि मोटरसाइकिल की तलाश जारी है. जीआरपी थाना साहिबगंज ने पुराने लंबित मामलों पर भी ध्यान दिया और कई मामलों की जांच पूरी कर न्यायालय में समर्पित की. इससे स्पष्ट है कि पुलिस वर्तमान और अतीत दोनों मामलों को गंभीरता से ले रही है. निष्कर्ष यह है कि चोरी और दुर्घटनाओं के आंकड़े रेलवे सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की मांग करते हैं. तकनीकी संसाधनों का बेहतर उपयोग, अतिरिक्त जवानों की तैनाती और यात्रियों को जागरूक करने वाले अभियान ही इन घटनाओं में कमी ला सकते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

