साहिबगंज. संताल सिविल रूल एवं संताल परगना जस्टिस रेगुलेशन 1893 को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान के जिला अध्यक्ष संतलाल मुर्मू के नेतृत्व में छह सूत्री मांग पत्र डीसी को सौंपा. सौंपे ज्ञापन में कहा है कि पारंपरिक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में सुधार कर लोकतांत्रिक और संवैधानिकरण करना बहुत जरूरी है. चूंकि अभी तक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में परंपरा के नाम पर वंशवादी शासन व्यवस्था लागू है. अर्थात (ग्राम प्रधान ) मांझी बाबा का बेटा ही मांझी बाबा बानते आ रहा है, जिससे ज्यादातर मांझी बाबा (ग्राम प्रधान) अनपढ़, पियक्कड़ एवं संविधान कानून से अनभिज्ञ व्यक्ति ही होते हैं. मांझी बाबा ग्राम प्रधान नायकी, जोगमंझी, पारानिक, गुडित, कुडम नायकी आदि का चुनाव संबंधित गांव के ही लोगों द्वारा महिला पुरुष मिलकर एक वर्ष के लिए पढ़े लिखे समझदार व्यक्ति चयन करें. रेप मार्डर जैसे मामलों में भी मोटी रकम लेकर दोषियों को बरी कर दिया जाता है. यह संविधान कानून और मानवाधिकार के खिलाफ है. हम आदिवासी भी आजाद भारत के नागरिक है.हमारे समाज में भी संविधान कानून और जनतंत्र लागू होना चाहिए.इसीलिए हम आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में सुधार कर संविधान कानून और जनतंत्र लागू करने के लिए आदिवासी सेंगेल अभियान और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के नेतृत्व में हम भारत के सात राज्यों में कार्यरत रहने की बात कहीं. मौके पर शिबू मुर्मू, बरबल बास्की, तालाबीटी हांसदा, कमली हांसदा उपस्थित थे.
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