रांची. पर्वराज पर्युषण के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की पूजा हुई. पंडित अंकित जैन शास्त्री ने कहा कि मृदुता, कोमलता और विनम्रता का भाव मार्दव है. मार्दव धर्म एक ऐसा गुण है, जो किसी व्यक्ति के व्यवहार में कोमलता, विनम्रता और संवेदनशीलता को दर्शाता है. यह न केवल व्यक्तिगत संबंधों को सुदृढ़ करता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सद्भावना को भी बढ़ावा देता है. उत्तम मार्दव की भावना हमें मानवीय मूल्यों की ओर लौटने की प्रेरणा देती है. यह गुण विशेष रूप से नेतृत्व, सेवा और संवाद के क्षेत्र में अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह दूसरों के दृष्टिकोण को समझने और उनके साथ सहयोग करने की शक्ति प्रदान करता है. यदि समाज में प्रत्येक व्यक्ति उत्तम मार्दव को अपनाये, तो निश्चित ही एक शांतिपूर्ण, सहनशील और सशक्त राष्ट्र की कल्पना साकार हो सकती है. आज का संकल्प है हमें किसी को भी हीन भावना से नहीं देखना और स्वयं को अहं के भाव से बचाना है. आज का मंत्र है मैं विनम्र हूं. पर्युषण पर्व पर दोनों मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना हुई. पंडित अंकित शास्त्री ने पूजनोपरांत तत्त्वार्थ सूत्र का वाचन, मंडल पूजन आदि कराया. इस अवसर पर राजेंद्र कुमार, संजय कुमार बड़जात्या परिवार, टिकमचंद संजय कुमार छाबड़ा परिवार द्वारा अपर बाजार मंदिर में शांति धारा की गयी. अमित कुमार, राकेश कुमार रारा व प्रदीप कुमार, निशांत कुमार अजमेरा परिवार ने वासुपूज्य जिनालय में शांतिधारा की. संगीतमय पूजन हेमंत सेठी, आकाश सेठी, संजय पाटनी और राकेश काशलीवाल ने किया. वहीं मंडल पूजन प्रमोद झांझरी, विनोद झांझरी के सहयोग से संपन्न हुआ.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

