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दुर्गा पूजा की अनोखी परंपरा: रांची में सैन्य सम्मान और फायरिंग के साथ हुई कलश स्थापना

प के समादेष्टा वाईएस रमेश व उनकी पत्नी प्रीति ने पूरे जैप परिवार की अोर से पूजा-अर्चना की. पंडित सहदेव उपाध्याय ने पूजा संपन्न करायी. इससे पूर्व प्रात: 07:10 बजे से मां की पूजा-अर्चना शुरू हुई. इसके बाद यहां 48 किलो जावा का रोपण किया गया.

Ranchi Durga Puja: झारखंड की राजधानी रांची में एक जगह दुर्गा पूजा में अनोखी परंपरा का वर्षों से निर्वाह किया जा रहा है. यहां सैन्य सम्मान और फायरिंग के साथ मां दुर्गा के घट (कलश) की स्थापना होती है. इस वर्ष भी इस परंपरा का पालन किया गया. इसके साथ ही शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गयी.

जैप-1 में हुई शारदीय नवरात्र की शुरुआत

डोरंडा के जैप-1 (JAP-1) स्थित दुर्गा मंदिर में सोमवार से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गयी. यहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ माता रानी के जयकारे के साथ कलश की स्थापना की गयी. यहां मां दुर्गा की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती. कलश पर ही मां दुर्गा के रूप में आराधना की जाती है.

Also Read: Durga Puja 2022: रांची में दुर्गा पूजा को लेकर नृत्य नाटिका का मंचन, देखें तस्वीरें जैप-1 के समादेष्टा ने पत्नी के साथ की पूजा-अर्चना

जैप के समादेष्टा वाईएस रमेश व उनकी पत्नी प्रीति ने पूरे जैप परिवार की ओर से पूजा-अर्चना की. पंडित सहदेव उपाध्याय ने पूजा संपन्न करायी. इससे पूर्व प्रात: 07:10 बजे से मां की पूजा-अर्चना शुरू हुई. इसके बाद यहां 48 किलो जावा का रोपण किया गया. काफी संख्या में सामूहिक पाठ करने वाली महिलाओं की ओर से अखंड द्वीप प्रज्ज्वलित की गयी.

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दुर्गा पूजा की अनोखी परंपरा: रांची में सैन्य सम्मान और फायरिंग के साथ हुई कलश स्थापना 2
घट स्थापना के बाद लगाया गया माता रानी का झंडा

घट की स्थापना के बाद माता रानी का झंडा लगाया गया. यहां एएसआइ दिवाकर सार्की के नेतृत्व में एक प्लाटून की ओर से तीन राउंड फायरिंग कर शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा को सलामी दी गयी. पाइप बैंड ने सलामी धुन बजाया. इसका नेतृत्व सब इंस्पेक्टर रवींद्र राम कर रहे थे. इसके बाद आरती हुई और प्रसाद का वितरण किया गया.

हर दिन सुबह-शाम होगी पूजा

अब प्रतिदिन यहां सुबह 07:10 बजे से पूजा-अर्चना की जायेगी, शाम साढ़े सात बजे संध्या आरती होगी. एक अक्टूबर को षष्ठी पूजा व डांडिया नृत्य, दो अक्टूबर को सप्तमी पूजन व फूल-पाती यात्रा, तीन अक्टूबर को महाअष्टमी पूजा, चार अक्टूबर को महानवमी पूजन होगा.

महानवमी के दिन होगी शस्त्र पूजा

महानवमी के दिन शस्त्र ही पूजा व महाबलि पूजा दिन के 10 बजे से होगी. दो अक्टूबर को दिन के एक बजे से, तीन अक्टूबर को रात 8:30 बजे से व चार अक्टूबर को दिन के दो बजे से विशेष हवन होगा. प्रतिदिन शाम छह बजे के बाद से कथा होगी. पूजा-अर्चना में शामिल होने के लिए आज काफी संख्या में भक्त जुटे थे.

रिपोर्ट- राजकुमार

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