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Ranchi news : बीएनएसएस में जीरो और ई-एफआइआर का है प्रावधान : कुमार हर्ष

प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने दी कानूनी सलाह

रांची.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) कानून में सरकार ने जीरो और ई-एफआइआर का प्रावधान किया है. ऐसे में कोई भी थाना न तो बहाना बना सकता है और न ही प्राथमिकी (एफआइआर) दर्ज करने से इनकार कर सकता है. बीएनएसएस की धारा 173 के तहत जीरो एफआइआर और ई-एफआइआर का प्रावधान किया गया है. इसके तहत पीड़ित व्यक्ति संज्ञेय अपराध की सूचना ई-मेल अथवा वाट्सऐप पर देकर एफआइआर के लिए ऑनलाइन आवेदन भेज सकता है. आवेदन भेजने पर जो संबंधित थाना होगा, वह तीन दिन के अंदर आवेदनकर्ता को आवेदन पर प्रतिहस्ताक्षरित करने के लिए बुलायेगा. इसे ई-एफआइआर कहा जाता है. धारा 173 (3) के तहत पुलिस प्रारंभिक जांच कर सकती है. क्षेत्राधिकार के बाहर किसी भी थाना में एफआइआर दर्ज करायी जा सकती है. उक्त बातें झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने कही. वह शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में लोगों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे.

हजारीबाग के दयानंद कुमार का सवाल :

दुर्घटना के केस में 9.77 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश है. बस मालिक दबाव डाल कर समझौता करने को कह रहा है. वैसी स्थिति में क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

आप आदेश का पालन कराने के लिए आवेदन दाखिल करें. साथ ही मुआवजा बढ़ाने के लिए हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं.

गढ़वा के राजेश सिंह का सवाल :

जमीन विवाद का मामला है. पूर्व में आपस में रिश्तेदारों में सहमति के बाद बंटवारा हो गया था. एक भाई ने अपने हिस्से की कुछ जमीन बेच दी है. अब अधिक जमीन पर दावा कर रहा है. क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

आपसी सहमति से तय हुआ था, तो सभी पक्षों को मानना चाहिए. इसमें से यदि कोई नहीं मान रहा है, तो आप सिविल कोर्ट में बंटवारानामा दाखिल कर सकते हैं.

रांची के रघु साहू का सवाल :

वह 2008 में सेवानिवृत्त हुए थे. पेंशन का कम्यूटेशन भी कराया था. 15 वर्ष से अधिक हो गया है. फिर भी रेस्टोरेशन नहीं हो रहा है, तो हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है. वह लंबित है, क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए आप अपने अधिवक्ता से विशेष मेंशन करने का आग्रह करें. अपनी उम्र का हवाला भी दें.

रजिया बेगम का सवाल :

छह डिसमिल जमीन खरीद कर उस पर घर बना कर रह रही हूं, लेकिन बिल्डर व दलाल किस्म के लोग परेशान कर रहे हैं. आने-जाने का रास्ता को घेर दिया है.

अधिवक्ता की सलाह :

आपकी जमीन में यदि रास्ता है, तो उसे रोका या बाधित नहीं किया जा सकता है. आप रास्ता के अवरोध को हटाने या तोड़ने के लिए एसडीओ के पास सारे दस्तावेजों के साथ लिखित आवेदन दाखिल करें. इसके लिए एसडीओ सक्षम न्यायालय है. यदि कार्रवाई नहीं होती है, तो आप उपायुक्त को भी आवेदन दे सकती हैं.

इन्होंने भी पूछे सवाल :

प्रभात खबर की ऑनलाइन काउंसेलिंग में राज्य के विभिन्न जिलों से फोन आते रहे. चतरा से सोनू राणा, गुमला से अमित कुमार, चाैपारण से सरदार चरणजीत सिंह, गढ़वा से दिलीप कुमार सिंह, डोरंडा से आशीष कुमार वर्मा, बुंडू से दिनेश प्रसाद कोईरी सहित अन्य लोगों ने सवाल किये, उन्हें अपनी सलाह से अधिवक्ता कुमार हर्ष ने संतुष्ट करने का प्रयास किया. लीगल काउंसेलिंग में जमीन व आपराधिक मामलों से जुड़े सवाल पूछे गये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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