रांची. कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी कठिनाई रास्ता नहीं रोक सकती. संत पॉल्स कॉलेज के दो दृष्टिहीन विद्यार्थियों शुभोदीप तरफदार और एनी मेरी होरो ने इंटरमीडिएट की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर यह साबित कर दिखाया है. शुभोदीप कॉलेज के दूसरे टॉपर बने हैं, जबकि एनी ने 413 अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी में सफलता हासिल की है. दोनों की यह उपलब्धि समाज के लिए भी एक प्रेरणा है.
तकनीक बनी सहारा, ब्रेल पुस्तकें नहीं थीं
कॉलेज में ब्रेल लिपि की किताबें नहीं मिलती थीं. ऐसे में शुभोदीप और एनी ने इंस्टा रीडर ऐप का सहारा लिया. शुभोदीप बताते हैं कि आठवीं क्लास से ही किताबें और राइटर न मिल पाने की समस्या से जूझना पड़ा. लेकिन कॉलेज के प्राचार्य और शिक्षकों का सहयोग हमेशा बना रहा.ट्यूशन में सुनकर बनाते थे नोट
शुभोदीप के पिता पवित्र तरफदार केबुल ऑपरेटर हैं. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, फिर भी बेटे के लिए ट्यूशन की व्यवस्था की. ट्यूटर पढ़कर सुनाता था और शुभोदीप सुनकर नोट्स बनाता था. शुभोदीप संगीत में भी रुचि रखते हैं और फिलहाल कोलकाता में शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रहे हैं. उनका लक्ष्य है शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करना.एनी की आंखें ब्रेन मलेरिया से गयीं, मां बनीं साथी
वर्ष 2010 में एनी ब्रेन मलेरिया की शिकार हुई, जिससे उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गयी. इसके बावजूद उसने हार नहीं मानी. मां सुशांति होरो बहुबाजार में साग बेचती हैं. दिनभर की मेहनत के बाद वह शाम को एनी के साथ बैठकर दो घंटे पढ़ाई कराती थीं. मां किताबें पढ़ती थीं और एनी सुनकर नोट्स बनाती थी. रीविजन भी मां ही करवाती थीं. एनी विशेष रूप से टीचिंग में करियर बनाना चाहती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

