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540 करोड़ की तेजस्विनी परियोजना की अवधि खत्म, CBI जांच में फंसी संस्थाएं भी हैं शामिल

विश्व बैंक संपोषित 540 करोड़ रुपये की लागतवाली तेजस्विनी परियोजना की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो गयी. इस पर अब तक 205 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. कौशल विकास का प्रशिक्षण पूरा नहीं होने के कारण सरकार ने अवधि विस्तार का अनुरोध किया था

रांची : विश्व बैंक संपोषित 540 करोड़ रुपये की लागतवाली तेजस्विनी परियोजना की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो गयी. इस पर अब तक 205 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. कौशल विकास का प्रशिक्षण पूरा नहीं होने के कारण सरकार ने अवधि विस्तार का अनुरोध किया था, लेकिन यह अब तक नहीं मिला है. सीबीआइ जांच में फंसी स्वयंसेवी संस्थाएं भी तेजस्विनी परियोजना के कार्य में लगी हुई हैं. राज्य के 17 जिलों में 14 से 24 वर्ष तक की युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 में परियोजना शुरू की गयी थी.

अब तक क्लब बनाने का ही हुआ काम :

परियोजना में अब तक तेजस्विनी क्लब बनाने का ही काम पूरा हो पाया है. कौशल प्रशिक्षण का काम अधूरा है. इस स्थिति को देखकर राज्य सरकार ने मार्च में ही एक साल का अवधि विस्तार देने का अनुरोध किया था. हालांकि इससे संबंधित सूचना सरकार को नहीं मिली है.

परियोजना के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने क्लब बनाने सहित पहले चरण के काम के लिए इंडियन ग्रामी‌ण सर्विसेज, ह्यूमाना पीपुल टू पीपुल, सृजन सहित आठ संस्थाओं का चयन किया था. इन्हें कुल 100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हो चुका है. इंडियन ग्रामीण सर्विसेज को सबसे ज्यादा 42.85 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.

ह्यूमाना इस मामले में दूसरे नंबर पर है. सृजन को 8.88 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. सीबीआइ दिल्ली की टीम ने पिछले दिनों इस संस्था के रांची और हजारीबाग स्थित कार्यलय पर छापेमारी की थी. फिलहाल यह संस्था सीबीआइ जांच के दायरे में है. सरकार ने कौशल प्रशिक्षण (वोके‌शनल और बिजनेस स्किल) के लिए कुल 10 संस्थाओं को चुना था.

इसमें ब्लैक पैंथर, विजनरी नॉलेज, यज्ञ नारायण सेवा समिति, पावर टू इंपावर, इनडकट्स कंसल्टेंट, एएफसी लिमिटेड, उद्योगिनी, जेआइटीएमएस, सेजल एजुकेशन, नेशनल एजुकेशनल सोसाइटी शामिल हैं. संस्थाओं के माध्यम से 1.30 लाख युवतियों को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

संस्थाओं को भुगतान (करोड़ में)

~205 करोड़ अब तक खर्च हो चुके हैं परियोजना पर

संस्थान भुगतान

इंडियन ग्रामीण सर्विसेज 42.85

ह्यूमाना पीपुल टू पीपुल इंडिया 41.62

एग्रो बिजनेस प्रोफेशनल 18.79

विकास भारती 14.04

संस्थान भुगतान

सृजन 8.88

अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट 0.04

सेव द चिल्ड्रेन इंडिया 0.21

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ओपेन स्कूलिंग 0.09

Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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