रांची़ केंद्रीय विवि, झारखंड (सीयूजे) अंतर्गत मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन विभाग के तत्वावधान में सामाजिक मानव विज्ञान में जीआइएस क्यों महत्वपूर्ण है शीर्षक से एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता जीआइएस विश्लेषक प्रो मुमु डे ने कैसे भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआइएस) ने मानवविज्ञानियों द्वारा समुदायों, परिदृश्यों, सांस्कृतिक प्रतिमानों और सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन के तरीके को बदल दिया है, इस पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि जीआइएस शोधकर्ताओं को स्थानिक संबंधों की कल्पना करने, जनसांख्यिकीय रुझानों का मानचित्रण करने और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रियाओं का अधिक सटीकता से विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है. उन्होंने समुदाय-आधारित नियोजन, एथनोग्राफिक मानचित्रण, सहभागी जीआइएस और सामुदायिक सशक्तिकरण, सांस्कृतिक विरासत संरक्षण, जन स्वास्थ्य मानव विज्ञान और महामारी विज्ञान मानचित्रण में जीआइएस के उपयोग पर भी जोर दिया. प्रो डे ने छात्रों को अंतरविषय (इंटरडिसिप्लिनरी) कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति अध्ययन संकाय के डीन और डीएटीएस के प्रमुख प्रो रवींद्रनाथ शर्मा ने की. इस अवसर पर प्रो सुचेता सेन चौधरी, डॉ रजनीकांत पांडे, डॉ टी नीशोनिंग कोइरेंग और डॉ एम रामकृष्णन सहित कई लोग उपस्थित थे.
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