रांची. झारखंड राज्य की अपनी विशेष कला व संस्कृति है. यहां की परंपराएं, वाद्य यंत्र, पाक कला, चित्रकारी, शिल्प कला, साहित्य और कला-संस्कृति दूसरों से अलग है. इनकी अपनी अलग पहचान है. झारखंड सरकार अपनी लोक-कला, संस्कृति, परंपरा आदि को बढ़ावा देने के लिए अभियान चला रही है. कला व संस्कृति विभाग के अंतर्गत संस्कृति, सांस्कृतिक कार्य निदेशालय ने इसकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआइ) टैगिंग के लिए पहल की है.
16 जून तक भेज सकते हैं प्रस्ताव
इसके लिए राज्य की सांस्कृतिक संस्थाओं/कलाकारों/संस्कृति कर्मी और प्रबुद्धजनों से अपने जिले की अलग पहचान रखनेवाली कला-संस्कृति के जीआइ टैगिंग के लिए प्रस्ताव मांगे गये हैं. प्रस्ताव आवश्यक अभिलेख के साथ 16 जून तक निबंधित डाक द्वारा भेज सकते हैं. प्रस्ताव एमडीआइ भवन, धुर्वा के तीसरे तल्ले स्थित निदेशालय के आगत-निर्गत शाखा कमरा नंबर 309 के पते पर भेजा जा सकता है. इसके अलावा इमेल ([email protected] ) पर भी जमा जा सकता है.
क्या होता है जीआइ
टैगिंग
जीआइ टैगिंग एक ऐसा चिह्न है, जिसका उपयोग उन उत्पादों के लिए होता है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है. यानी किसी भी क्षेत्र का ऐसा क्षेत्रीय उत्पाद होता है, जिससे उसके गुण से उस क्षेत्र की पहचान होती है. उस उत्पाद की पहचान विश्व स्तर पर फैलती है, तो उसे प्रमाणित करने के लिए जीआइ टैग लगाया जाता है. इससे बेहतर बाजार, मूल्य वृद्धि और ब्रांड पहचान मिलती है.
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