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शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से दिल्ली हाईकोर्ट ने किया इनकार

पूर्व में 22 सितंबर 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत के उक्त फैसले से शिबू सोरेन के खिलाफ सीबीआइ जांच (प्रारंभिक जांच) का रास्ता साफ हो गया है.

रांची : दिल्ली हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में झामुमो सुप्रीमो सांसद शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल द्वारा शुरू की गयी कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि यह लोकपाल को निर्णय लेना है कि जांच के उद्देश्य को पूरा करने को लेकर आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सामग्री है या नहीं. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने शिबू सोरेन व परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए लोकपाल के यहां शिकायत दर्ज करायी थी. लोकपाल ने सीबीआइ को पीइ दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था, जिसे शिबू सोरेन ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी.

हाइकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने सोमवार को उक्त फैसला सुनाते हुए शिबू सोरेन को राहत देने से इनकार कर दिया तथा मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किये बिना याचिका का निपटारा कर दिया. पूर्व में 22 सितंबर 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत के उक्त फैसले से शिबू सोरेन के खिलाफ सीबीआइ जांच (प्रारंभिक जांच) का रास्ता साफ हो गया है. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया था कि लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा-53 के तहत अपराध के सात वर्ष बीत जाने के बाद किसी भी शिकायत की जांच करने का अधिकार लोकपाल को नहीं है. इसके अलावा भी बताया गया कि यह मामला झारखंड राज्य बनाम शिवशंकर शर्मा और एच सोरेन बनाम शिवशंकर शर्मा की एसएलपी में शीर्ष अदालत के फैसले के तहत पूरी तरह से कवर किया गया है. उनके खिलाफ मामला पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण और राजनीति से प्रेरित है. इसलिए लोकपाल के आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए.

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लोकपाल की ओर से कहा गया था कि इस मामले में शिबू सोरेन के किसी भी माैलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है. प्रारंभिक जांच में उचित कार्रवाई की गयी है. इसमें यह पता लगाना शामिल है कि शिकायत में उल्लेखित संपत्ति शिबू सोरेन व उनके परिवार के पास है भी या नहीं. शिबू सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बहस की थी, जबकि लोकपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिबू सोरेन ने लोकपाल द्वारा शुरू की गयी कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी. अदालत ने पूर्व में शिबू सोरेन के खिलाफ भारत के लोकपाल की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.

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