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Sarhul Festival Holiday: सरहुल महापर्व पर झारखंड में 3 दिवसीय राजकीय अवकाश की मांग

Sarhul Festival Holiday: प्रकृति के महापर्व सरहुल पर झारखंड में 3 दिन की छुट्टी देने की मांग की गयी है. बिरसा विकास जन कल्याण समिति मिसिर गोंदा ने हेमंत सोरेन से यह मांग की है. सरहुल पूजा का कार्यक्रम भी तय हो गया है. पूरा कार्यक्रम यहां पढ़ें.

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Sarhul Festival Holiday: सरहुल महापर्व पर झारखंड में 3 दिवसीय राजकीय अवकाश की मांग की गयी है. बिरसा विकास जनकल्याण समिति मिसिर गोंदा की ओर से यह मांग उठी है. धुमकुड़िया घर मिसिर गोंदा में प्रकृति के महान पर्व सरहुल के आयोजन की तैयारियों के लिए हुई अहम बैठक में यह फैसला हुआ. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की गयी कि झारखंड में सरुहल महापर्व के लिए 3 दिन का अवकाश घोषित किया जाये. साथ ही सरहुल पूजा का कार्यक्रम भी जारी किया गया.

31 मार्च को उपवास, केकड़ा पकड़ाई और जल रखाई पूजा

बैठक की अध्यक्षता करते हुए बिरसा विकास जन कल्याण समिति मिसिर गोंदा के पाहन बिरसा पाहन ने कहा कि 31 मार्च 2025 को चैत्र द्वितीया शुक्ल पक्ष दिन बुधवार को उपवास रखा जायेगा. केकड़ा-मछली पकड़ाई होगी. शाम को 7 बजे पवित्र सरना स्थल मिसिर गोंदा कांके डैम पार्क में पारंपरिक रीति-रिवाज से जल रखाई पूजा होगी.

Sarhul Festival Of Jharkhand
मिसिर गोंदा में सरहुल पर्व की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित बैठक में पाहन और अन्य लोग शामिल हुए.

1 अप्रैल को 2 बजे सरहुल शोभायात्रा, 2 अप्रैल को होगी फूलखोंसी

चैत्र तृतीया शुक्ल पक्ष दिन गुरुवार 1 अप्रैल 2025 को सुबह 7 बजे सरना पूजा स्थल से पूजा शुरू होगी. अपराह्न 2 बजे सरना स्थल मिसिर गोंदा से सिरमटोली सरना स्थल के लिए शोभायात्रा प्रस्थान करेगी. 2 अप्रैल 2025 चैत्र चतुर्थी शुक्ल पक्ष दिन शुक्रवार को फूलखोंसी (पुष्प अर्पण) का कार्यक्रम होगा. समिति के अध्यक्ष अनिल उरांव ने कहा कि इस साल भव्य सरहुल शोभायात्रा निकालकर आदिवासी समाज एकजुटता प्रदर्शित करेगा.

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‘आदिवासियों की धार्मिक पहचान के प्रदर्शन का पर्व है सरहुल’

उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि प्रकृति महापर्व सरहुल पूजा पर 3 दिवसीय राजकीय अवकाश घोषित करें, ताकि राज्य के आदिवासी हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मना सकें. समिति के संरक्षक चिलगु लकड़ा ने कहा कि सरहुल पूजा आदिवासियों का मुख्य पर्व है, जिसमें आदिवासियों की धार्मिक पहचान प्रदर्शित होती है.

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सरहुल में पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य, गीत का करें प्रदर्शन

समिति ने सरहुल पूजा में पारंपरिक नृत्य, गीत, वेशभूषा में ही सरहुल पर्व मनाने का समाज से आग्रह किया है. बैठक की अध्यक्षता गांव के पाहन बिरसा पाहन ने और संचालन अनिल उरांव ने किया. इस बैठक में एतवा मुंडा, मंगा उरांव, जगन्नाथ उरांव, बिरसा बांडो, सोनू खलखो, मुन्ना गाड़ी, सम्मी गाड़ी, बबलू उरांव, राजू उरांव, विकास लकड़ा, संजय उरांव, विशाल लिंडा, राजा, रोशन, नितिन, आलोक, पुतुल उरांव, शांति उरांव, गुंदी बांडो, प्यारी बांडो, फगनी लिंडा, रेणु उरांव और भारी संख्या में गांव के लोग मौजूद थे.

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