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Thursday, March 28, 2024

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झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में चिकनगुनिया और डेंगू की जांच बंद, मरीजों को हो रही है परेशानी

झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल चिकनगुनिया और डेंगू की जांच नहीं हो रही. क्योंकि जांच किट नहीं है. माइक्रोबायोलॉजी विभाग का कहना है कि आग्रह के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने जांच किट उपलब्ध नहीं करायी है

रांची. बरसात के कारण मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है, लेकिन रिम्स में चिकनगुनिया और डेंगू की जांच नहीं हो रही. जांच किट नहीं होने के कारण माइक्रोबायोलॉजी विभाग में दोनों बीमारियों के सैंपलों की जांच बंद है. विभाग का कहना है कि आग्रह के बावजूद रिम्स प्रशासन ने जांच किट अब तक उपलब्ध नहीं करायी है.

इधर, मरीजों को निजी जांच लैब में 800 से 1200 रुपये खर्च कर जांच करानी पड़ रही है. इधर, रिम्स में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ विद्यापति ने बताया कि डेंगू के बहुत मरीज ओपीडी में नहीं आ रहे हैं. इसलिए डरने की जरूरत नहीं है. मलेरिया के कुछ मरीज आ रहे हैं, जिनको दवाएं दी जा रही हैं. वहीं, रिम्स के अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने कहा कि डेंगू और चिकनगुनिया की जांच किट खत्म होने की जानकारी उन्हें नहीं है. वे सोमवार इस संबंध में जानकारी लेंगे.

पाइपलाइन में कचरा मोरहाबादी में पांच दिनों से जलापूर्ति ठप

रांची. मोरहाबादी और आसपास के इलाकों में पिछले पांच दिनों से जलापूर्ति बाधित है. हजारों लोग पानी खरीदने को विवश हैं. हरिहर सिंह रोड, दिव्यायन, एदलहातू और आसपास के इलाके में वाटर प्रेशर कम रहने से घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. विभागीय स्तर पर जानकारी दी गयी कि पिछले दिनों बिजली के काम के क्रम में पाइप फट गया. उसी दौरान पाइपलाइन में कचरा चला गया है, जिससे वाटर प्रेशर कम हो गया है.

ऐसे में जलापूर्ति होने के बावजूद लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. रविवार को भी इलाके में आंशिक जलापूर्ति ही हो पायी. इधर, मौजूदा समय में इलाके के लोगों की दिनचर्या पानी के जुगाड़ से शुरू हो रही है. कोई नहाने व कपड़ा धोने के लिए रिश्तेदार के यहां तक चला जा रहा है, तो कई मित्रों के घर. नित्यक्रिया तक के लिए लोग पानी खरीदने को बाध्य हैं.

नगर निगम से लेकर तमाम संबंधित विभागों को सूचना देने के बाद भी सिर्फ आश्वासन मिल रहा है. हाल के वर्षों में मोरहाबादी और आसपास के इलाके ड्राई जोन में शुमार हो चुके हैं. कई घरों और अपार्टमेंट में बोरिंग फेल है. ऐसे में लोग पानी के लिए पाइपलाइन से होनेवाली जलापूर्ति पर ही निर्भर हैं.

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