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रिम्स में दर्द से तड़पता रहा आदिम जनजाति बिरहोर बच्चा, हफ्तेभर में नहीं हुई सर्जरी, नर्सों ने भी की मनमानी, फिर पिता ने उठाया ये कदम

RIMS News: रांची के तमाड़ की बिरहोर कॉलोनी के लक्ष्मण पहाड़िया (तीन साल) को इलाज के लिए रिम्स में भर्ती कराया गया था. छह दिन भर्ती रहने के बाद भी बिरहोर बच्चे की सर्जरी नहीं की गयी. नर्सों ने बच्चे को दवा खिलाने से भी इनकार कर दिया था. मजबूरन पिता ने दर्द से परेशान बच्चे का प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराया.

RIMS News: रांची, राजीव पांडेय-रिम्स की अव्यवस्था से परेशान तमाड़ की बिरहोर कॉलोनी निवासी लक्ष्मण पहाड़िया (तीन साल) को निजी अस्पताल की शरण में जाना पड़ा. रिम्स में सर्जरी के लिए परिजन बच्चे को लेकर छह दिनों तक रहे. जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो परिजन लाचार होकर इलाज के लिए एक निजी अस्पताल चले गये. निजी अस्पताल में बिरहोर बच्चे के भर्ती होने की जानकारी मिली, तो मामूली रकम लेकर बच्चे की सर्जरी की गयी. बच्चा जब पूरी तरह स्वस्थ हो गया तो उसे 28 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी.

तमाड़ से रिम्स किया गया था रेफर


बच्चे के परिजनों ने बताया कि लक्ष्मण को (पिता सैना पहाड़िया) 20 फरवरी को पैर में दर्द शुरू हुआ. परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, तमाड़ ले गये. वहां से रिम्स रेफर कर दिया गया. इसी दिन कुछ समाजसेवी और परिजन लक्ष्मण को रिम्स ले आये. रिम्स में बच्चे को डॉ विनय प्रभात के वार्ड में भर्ती करा दिया गया. भर्ती के बाद मरीज का एक्स-रे कराया गया, जिसमें पैर में फ्रैक्चर की पुष्टि हुई. डॉक्टरों ने बताया कि फ्रैक्चर पुराना है, इसलिए ऑपरेशन करना होगा. लक्ष्मण को काफी दर्द था, इसलिए दर्द की दवा और कैल्शियम डॉक्टरों ने लिखी. परिजन बाहर से दवा खरीदकर लाये. परिजनों ने नर्स को दवा खिलाने का आग्रह किया, लेकिन नर्सों ने कहा कि परिवारवाले ही दवा खिलाते हैं. यह उनका काम नहीं. दवा खिलाने नहीं आ रहा है, तो सीख लीजिए. वहीं, खाना के बारे में पूछने पर बताया कि भर्ती होने के 24 घंटे के बाद ही खाना मिलता है. अगले दिन जब सर्जरी की जानकारी ली गयी, तो बताया गया कि डॉक्टर साहेब छुट्टी पर चले गये हैं. अभी कुछ नहीं हो सकता है. ऑपरेशन के लिए जरूरी टेस्ट करा लें.

ब्लड सैंपल के लिए करना पड़ा लंबा इंतजार


परिजनों ने बताया कि खून जांच के लिए भी कई दिनों तक टालमटोल किया गया. आग्रह के बावजूद सैंपल नहीं लिया गया. शनिवार से लेकर सोमवार तक का समय लग गया. नर्सिंग स्टॉफ से कई बार आग्रह करने के बावजूद खून का सैंपल नहीं लिया गया. उनका कहना था कि बच्चों का खून उन्हें निकालना नहीं आता है. बाद में किसी तरह खून निकालकर जांच के लिए दिया गया.

बाहर से मंगाया गया था उपकरण


परिजनों ने बताया कि 25 फरवरी को जब डॉक्टर आये तो उन्होंने बताया कि सर्जरी की जरूरत नहीं है, केवल हिप्स पाइका लगाने से काम हो जायेगा. हिप्स पाइका फिलहाल रिम्स में नहीं है. बाजार से ले आएं. इसके बाद जब परिजनों को लगा कि इलाज में टालमटोल किया जा रहा है तो वे बच्चे को लेकर पिस्का मोड़ स्थित एक निजी अस्पताल चले आये. वहां बच्चे का ऑपरेशन किया गया. निजी अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि हिप्स पाइका से बच्चे का इलाज नहीं हो सकता था.

गंभीर मामला है, जांच करायी जाएगी-डॉ राजीव रंजन


रिम्स के पीआरओ डॉ राजीव रंजन ने बताया कि बिरहोरों के नि:शुल्क और प्राथमिकता के आधार पर इलाज का निर्देश सभी विभागाध्यक्षों को दिया गया है. बावजूद इसके अगर बच्चे का इलाज नहीं हुआ तो यह गंभीर मामला है. इसकी जांच करायी जाएगी कि आखिर किस परिस्थिति में बच्चे का इलाज और ऑपरेशन नहीं हुआ.

बच्चे का दर्द नहीं देखा गया, ले जाना पड़ा निजी अस्पताल-पिता


पीड़ित बच्चे के पिता सैना पहाड़िया ने कहा कि उनका बेटा लक्ष्मण पहाड़िया खेलते-खेलते गिर गया था. बेटे को इलाज के लिए 20 फरवरी को रिम्स लेकर गये थे. वहां तीन-चार दिनों तक प्लास्टर नहीं किया गया. बच्चे को काफी दर्द था. यह देखा नहीं जा रहा था. इस कारण निजी अस्पताल लेकर गये. कुछ लोगों ने इलाज में सहयोग किया. वहां चिकित्सक के सहयोग से प्लास्टर किया गया.

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