रांची. विवि, कॉलेज व संस्थान में कैंपस के अंदर शिक्षकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों में जाति, रंग, नस्ल, धर्म, जन्म स्थान व लिंग भेदभाव की शिकायत मिलने व पुष्टि होने पर अनुदान पर रोक से लेकर मान्यता रद्द तक कर दी जायेगी. यह प्रावधान सरकार द्वारा तैयार प्रोमोशन ऑफ इक्विटी इन हायर एडुकेशन रेगुलेशन 2025 के ड्राफ्ट में रखा गया है. केंद्र सरकार के निर्देश पर यूजीसी ने सभी विवि, कॉलेजों व संस्थानों से उक्त रेगुलेशन ड्राफ्ट में दिये गये अन्य प्रावधानों पर 30 दिनों में सुझाव मांगा है. यूजीसी के सचिव प्रो मनीष जोशी के अनुसार इसके लिए सभी विवि, कॉलेज व संस्थान में इसकी मॉनिटरिंग के लिए सेल स्थापित किया जायेगा. इसके अलावा इक्विटी दस्ता का गठन किया जायेगा.
संस्थान प्रमुख/लोकपाल के पास कर सकेंगे शिकायत
पीड़ित व्यक्ति इसकी शिकायत संस्थान प्रमुख/लोकपाल के पास कर सकेंगे. लोकपाल इसकी जांच करा सकते हैं. इसके लिए मानदेय पर लीगल अफसर नियुक्त कर सकेंगे. कैंपस में इसे रोकने के लिए विवि में स्थापित सेल स्थानीय मीडिया, पुलिस, जिला प्रशासन, क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों, संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और अभिभावकों के साथ समन्वय स्थापित करेगा. संस्थान के प्रमुख एक स्थायी प्रोफेसर को सेल का समन्वयक के रूप में नामित करेंगे.
समानता समिति करेगी सेल का संचालन
सेल के कामकाज का प्रबंधन करने और भेदभाव की शिकायतों की जांच करने के लिए संस्था के प्रमुख द्वारा एक समानता समिति गठित होगी. समिति में संस्था का प्रमुख पदेन अध्यक्ष होगा. चार प्रोफेसर/संस्थान के वरिष्ठ शिक्षक सदस्य होंगे. प्रासंगिक अनुभव रखने वाले समाज के दो प्रतिनिधि सदस्य होंगे. इसके अलावा दो छात्र प्रतिनिधि विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे. सेल के समन्वयक सदस्य सचिव होंगे. समिति में कम से कम एक सदस्य महिला तथा एसटी/एससी वर्ग से एक-एक सदस्य होंगे. अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा, जबकि विशेष आमंत्रित सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष का होगा. विद्यार्थियों सहित शिक्षकों और कर्मचारियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इस तरह के कार्य नहीं करेंगे व समानता को बढ़ावा देंगे. संस्थान में हेल्पलाइन जारी किया जायेगा.
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