रांची. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, क्षेत्रीय केंद्र, रांची और रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान के सहयोग से भगवान शिव: झारखंड और उसकी आदिवासी जनजातियों के आराध्य देवता विषयक विशेष व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया. स्वतंत्र विद्वान व मानवविज्ञानी डॉ कैलाश कुमार मिश्रा (नयी दिल्ली) द्वारा प्रस्तुत किया गया. यह कार्यक्रम आरकेएमवीइआरआइ के सेमिनार हॉल में हुआ. डॉ मिश्रा ने भारत और झारखंड की आदिवासी जनजातियों में भगवान शिव की पूजा पर गहन व्याख्यान दिया. उन्होंने शिव पूजा के ऐतिहासिक, मानवशास्त्रीय और सांस्कृतिक आयामों पर प्रकाश डाला. उन्होंने मैककूल के संदर्भ में बताया कि धर्म के दो रूप होते हैं. विश्व धर्म और जनजातीय धर्म, जिसमें जनजातीय धर्म मूलतः धरती-आधारित धर्म है. इसी संदर्भ में शिव एक महत्वपूर्ण जनजातीय देवता के रूप में उभरते हैं. व्याख्यान श्रृंखला में विद्वानों, छात्रों और स्थानीय समुदाय के लगभग 200 सदस्य शामिल हुए. मुख्य अतिथि स्वामी भावेशनंद (रामकृष्ण मिशन आश्रम, रांची के सचिव), क्षेत्रीय निदेशक डॉ कुमार संजय झा, डॉ दिपंकर चट्टर्जी उपस्थित रहे. इस व्याख्यान का उद्देश्य झारखंड की आदिवासी जनजातियों में भगवान शिव के सांस्कृतिक और मानवशास्त्रीय महत्व का अन्वेषण करना था.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

