रांची. निजी दवा दुकानों में रिम्स की पर्ची पहुंचने के मामले को रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार ने गंभीरता से लिया है. निदेशक ने अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ से पूछा है कि दवाओं की उपलब्धता के बाद भी पर्ची निजी दवा दुकानों के पास क्यों जा रही है. इसके बाद अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने सोमवार को दोपहर में चिकित्सा पदाधिकारियों और स्टोर इंचार्ज की बैठक बुलायी और दवाओं की उपलब्धता की जानकारी ली. स्टोर पदाधिकारियों (जनरल, सर्जिकल और केमिकल) को क्रय समिति द्वारा लिये गये निर्णय की याद दिलाया और उसका पालन करने का सख्त निर्देश दिया.
छह महीने की दवा और सर्जिकल सामान का भंडार रखा जाये
अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने कहा कि छह महीने की दवाई और सर्जिकल सामान का भंडार स्टोर में मंगा कर रखा जाये. स्टोर में उपलब्ध स्टॉक की नियमित निगरानी की जाये. स्टोर में तीन महीने का स्टॉक बच जाये, तभी अगले ऑर्डर की प्रक्रिया शुरू कर दें. इससे दवाई और अन्य आवश्यक सामग्रियों की उपलब्धता विभागों में बनी रहेगी. यह सभी निर्णय क्रय समिति में लिया गया है और निर्देशित भी किया गया है. ऐसे में अब इसका सख्ती से पालन करना है. नेक्स्टजेन अस्पताल के स्टोर में नयी प्रणाली विकसित करने पर भी चर्चा हुई, जिससे आवश्यक स्टॉक की निगरानी की जा सके. बताते चलें कि सोमवार के अंक में प्रभात खबर द्वारा इससे संबंधित खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद रिम्स प्रबंधन सजग हुआ है.
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