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पुण्य बृहस्पतिवार की आराधना में शामिल हुए मसीही विश्वासी, बोले आर्चबिशप- प्रभु यीशु की तरह हम भी विनम्र बनें

अर्चबिशप ने कहा कि प्रभु यीशु मसीह को मालूम था कि अंतिम घड़ी आ गयी है. उन्होंने अपने शिष्यों को रोटी दी और कहा लो यह मेरा शरीर है.

रांची के लोयला मैदान में गुरुवार को मसीही विश्वासी पुण्य बृहस्पतिवार की आराधना में शामिल हुए. इस दौरान आर्चबिशप विसेंट आईंद ने विश्वासियों के पैर धोये. पैर धोना विनम्रता का प्रतीक है. प्रभु यीशु मसीह ने भी अपने 12 शिष्यों के पैर धोये थे. इस मौके पर अपने संदेश में आर्चबिशप ने कहा कि घुटना टेकना विनम्रता का प्रतीक है. प्रभु यीशु की तरह हम भी विनम्र बनें.

उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु मसीह को मालूम था कि अंतिम घड़ी आ गयी है. उन्होंने अपने शिष्यों को रोटी दी और कहा लो यह मेरा शरीर है. इसे खाओ. इसके बाद उन्होंने कटोरा लेकर कहा कि यह मेरा रक्त है. इसे पीयो. इस विधि से प्रभु यीशु मसीह ने पवित्र यूखरिस्त की स्थापना की. इस विशेष आराधना विधि में फादर आनंद डेविड, संत अल्बर्ट कॉलेज के रेक्टर अजय कुमार खलखो सहित अन्य पुरोहित शामिल हुए. गौरतलब है कि यह आराधना यीशु मसीह की क्रूस मृत्यु के एक दिन पूर्व की घटनाओं की स्मृति में की जाती है. प्रभु यीशु मसीह ने अपने शिष्यों के साथ अंतिम भोज किया था. जिसमें उन्होंने पवित्र यूखिरिस्त को स्थापित किया था. उन्होंने अपने शिष्यों को कहा था कि तुमलोग यह मेरी स्मृति में करना. भोज से पूर्व प्रभु ने अपने शिष्यों के पैर धोये थे.

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आज प्रभु की क्रूस मृत्यु की घटना पर मनन करेंगे विश्वासी

मसीही विश्वासी 29 मार्च को गुड फ्राइडे की आराधना में शामिल होंगे. यह दिन यीशु मसीह की क्रूस मृत्यु से संबंधित है. पिलातुस के आदेश पर प्रभु यीशु मसीह को क्रूस मृत्यु की सजा दी गयी थी. इस घटना के स्मरण में शुक्रवार को मसीही विश्वासी आराधना के दौरान मनन चिंतन करेंगे. संत मरिया महागिरजाघर में शुक्रवार की सुबह वंदना और पाप स्वीकार की जायेगी. दिन के 10 बजे से क्रूस रास्ता की आराधना होगी. शाम 4:30 बजे से लोयला मैदान में पुण्य शुक्रवार की विधि में हजारों विश्वासी शामिल होंगे. बहूबाजार स्थित संत पॉल्स कैथेड्रल में सुबह छह बजे से विशेष आराधना होगी. सुबह नौ बजे से दिन के 12 बजे तक तीन घंटे का ध्यान कार्यक्रम होगा. इसमें पेरिश प्रिस्ट डेविड उपदेश देंगे. आराधना का संचालन रेव्ह एम ओड़ेया करेंगे. मेन रोड स्थित क्राइस्ट चर्च में सुबह 6:30 बजे से विशेष आराधना होगी.

हे पिता इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं

यी शु मसीह का जीवन प्रार्थनामय जीवन था. वे जब क्रूस में टंगे हुए थे, क्रूस का दर्द सह रहे थे. लोग उनका मजाक उड़ा रहे थे. उसकी निंदा की जा रही थी. यीशु के अगल-बगल दो अपराधी क्रूस पर टंगे हुए थे. ऐसी परिस्थिति में वे परमेश्वर पिता से अपने सताने वालों या मृत्यु दंड देने वालों के पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना कर रहे थे. जो यीशु को दुख दे रहे थे, निंदा कर रहे थे, झूठा आरोप लगा रहे थे,जो यीशु को पूरी तरह से क्रूस की सजा देकर पूरी तरह से समाप्त करना चाहते थे.
अपने विरोधियों को क्षमा देना बहुत ही कठिन बात है. वैसी परिस्थिति में जब विरोधी अपनी गलतियों को नहीं मान रहा हो और आपको दुख देकर खुश हो रहा हो. क्या ऐसे लोगों को क्षमा दिया जा सकता है. ऐसे लोगों के लिए यीशु ने परमेश्वर पिता से क्षमा की अर्जी की. यीशु मसीह ने अपने सेवकाई के दौरान शिक्षा दी थी, “अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करो (मत्ती 5:44). “इस तरह यीशु मसीह ने जो शिक्षा दी थी उसे उसने क्रूस पर लागू की. यीशु मसीह की कथनी और करनी में अंतर नहीं है. जैसा उसने कहा वैसे ही उसने किया. 

यीशु मसीह की इस प्रार्थना में उच्च नैतिकता है. इस प्रार्थना में क्षमा का जो शब्द यीशु के द्वारा बोला गया वह पूरे मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ा संदेश है. क्षमा दो शब्दों का है पर इसका मूल्य तमाम मूल्यवान चीजों से भी अधिक मूल्यवान है. किसी को क्षमा कर देना कोई साधारण बात नहीं है. किसी को क्षमा देना मजबूरी नहीं परंतु यह एक साहसिक कार्य है. क्षमा देना एक महान कार्य है. आप क्षमा तभी दे सकते हैं जब आप उस व्यक्ति से प्रेम करते हैं. जहां प्रेम है वहां क्षमा है. यीशु मसीह ने शिक्षा दी – “ मेरी आज्ञा यह है कि जैसे मैंने तुमसे प्रेम रखा वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो. इससे बडा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए प्राण दे (यूहन्ना 15:12-13). “यीशु मसीह का प्रेम पूरे जगत के लोगों के लिए अदभुत प्रेम है. यीशु मसीह पुरे मानव जाति को प्रेम और क्षमा का पाठ पढा कर क्रूस पर बलिदान हो गये. 
प्रभु ने प्राणों का बलिदान देकर हमारे पापों का दाम चुकाया

आज वह भला दिन है जब प्रभु यीशु ने क्रूस पर अपने प्राणों का बलिदान देकर हमारे पापों का दाम चुका दिया. वचन में लिखा है ‘पाप की मजदूरी मृत्यु है, परंतु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु में अनंत जीवन है’. प्रभु हमारे लिए क्रूस पर चढ़े और मृत्यु का दाम चुका दिया तथा हमें अनंत मृत्यु से बचा लिया. प्रभु की क्रूस मृत्यु कोई आकस्मिक घटना नहीं थी परंतु प्रभु ने खुद क्रूस मृत्यु से पूर्व तीन बार अपने चेलों से इसकी चर्चा की थी. जब चेलों ने जान लिया कि यीशु एक नबी ही नहीं, बल्कि वो परमेश्वर के इकलौते पुत्र मसीह हैं, तो प्रभु चेलों को खुलकर अपनी मृत्यु तथा पुनरूत्थान के विषय बताने लगे. उन्होंने तीन बार इस बात की चर्चा अपने चेलों से की थी कि जितनी बातेंं मेरे विषय में भविष्यवक्ताओं द्वारा लिखी गयी है, वे सब पूरी होंगी. वह अन्य जातियों के हाथों में सौंपा जायेगा. और, वे उसे उपहास में उड़ायेंगे, उसका अपमान करेंगे और घात करेंगे. वह तीसरे दिन जी उठेगा. प्रभु अच्छी तरह यह बात जानते थे कि उसे क्रूस मृत्यु सहना है. प्रभु ने पूरे संसार के पाप को अपने ऊपर लिया और क्रूस पर चढ़े. जब वे क्रूस पर टंगे थे, दोपहर से तीसरे पहर तक अंधियारा छाया रहा. जहां वे क्रूस पर पुकार उठे- ‘हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया.’  प्रभु पर सारे जगत का पाप लादा गया था. इस वजह से परमेश्वर ने कुछ समय के लिए उसे छोड़ दिया. यीशु ने हमारे लिए नरक की पीड़ा का अनुभव किया. उन्होंने प्यास की तड़प का अनुभव किया. प्रभु ने यह पीड़ा सहा ताकि हमें नरक की पीड़ा से बचा सके. प्रभु हमारे लिए धार्मिकता लेकर आये. प्रभु ने लोगों को चेता कर कहा था- यदि तुम्हारी धार्मिकता फरीसियों और सदुकियों की धार्मिकता से बढ़कर न हो तो तुम स्वर्ग राज्य में कदापि प्रवेश नहीं कर सकते. फरीसियों तथा सदुकियों की धार्मिकता बाहरी धार्मिकता थी. क्रूस पर बलिदान होकर प्रभु स्वयं हमारी धार्मिकता बन गए कि हम अपने पाप के पुराने वस्त्र उतारकर उसे पहन लें. प्रभु ने हमारे उद्धार के सारे कार्य खुद पूरा किये.

सूली में प्रभु यीशु की कुर्बानी प्रेम और अमरता का प्रतीक

गुड फ्राइडे अर्थात पुण्य शुक्रवार आस्था की दृष्टि से ईसाइयों के लिए बहुत बड़ा दिन है. इसे गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है कि ईसा के क्रूस शहादत द्वारा मृत्यु से अमरता, पाप से पुण्य, अंधेरा से प्रकाश, बैर से प्रेम, नरक से स्वर्ग तथा शैतान के राज्य से ईश्वरीय राज्य पर विजयी पायी गयी. ईसा मसीह ने आज ही के दिन क्रूस काठ पर अपनी प्राण की आहुति दी थी. 33 वर्ष की आयु में यहूदिया प्रांत के रोमन शासनकाल में तात्कालिक शासक पिलातुस ने यीशु को मृत्युदंड की सजा सुनायी थी. उस समय किसी घोर अपराधी को लकड़ी से बना क्रूस काठ पर चौराहे या सार्वजनिक स्थल पर मृत्युदंड दिया जाता था. यह घृणित, अपमान, हार, विनाश, तथा मृत्यु का प्रतीक माना जाता था. यीशु का कोई दोष नहीं था. उस पर झूठा आरोप लगाया गया. निर्दोष होते हुए भी उन्हें सजा-ए-मौत दी गयी. 

यीशु के सूली पर मरने के पीछे तीन वजह है. ऐतिहासिक, तात्कालिक राजनीतिक परिस्थियां एवं ईश्वर की योजना. यीशु के जन्म से मृत्यु व स्वर्गारोहण तक की घटना इतिहास में घटित हुई है. आज से लगभग 2024 वर्ष पहले की घटना है. यीशु ख्रीस्त रोमन शासकों के षड्यंत्र के शिकार बने. इन सभी घटनाओं एवं परिस्थितिओं के पीछे कहीं न कहीं ईश्वर की योजना छिपी हुईं थी. यीशु के आने के पूर्व संसार में कई प्रकार के पाप एवं बुराई का अंधकार छाया हुआ था. लोग बुरी तरह पाप के गिरफ्त में आ चुके थे. दयालु ईश्वर ने अपनी सृष्टि पर प्रेम से अभिभूत होकर तरस खाया और सारी मानव जाति को पाप के बंधन से छुटकारा देने के लिए अपने एकलौते पुत्र को मुक्तिदाता के रूप में भेजने की योजना बनायीं, जो ''मुक्ति इतिहास की योजना '' से जानी जाती है. 

दरअसल, यीशु के क्रूस पर मरने के मुख्य कारण है. ईश्वरीय प्रेम. "ईश्वर के प्रेम की पहचान इसमें है कि पहले हमने ईश्वर को नहीं बल्कि ईश्वर ने हमको प्यार किया और हमारे पापों के प्राश्चित के लिए अपने एकलौते पुत्र को भेजा. (1 योहन 4 :10). यीशु ने हमारे दुःख को अपने ऊपर ले लिया और हमारे लिए कृपा का स्रोत खोल दिया. उनके दुःख और पीड़ा द्वारा हमें मुक्ति मिली है. 

कुर्बानी, प्रेम व क्षमा का संदेश देता है गुड फ्राइडे 

गुड फ्राइडे (भला शुक्रवार) मसीही विश्वासियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. ईश्वर का पुत्र यीशु मसीह निर्दोष होते हुए भी क्रूस पर बलिदान होते हैं. वे समस्त संसार का पाप अपने उपर लेते हैं. क्रूस पर अपना खून बहाकर वे मनुष्य जाति के उद्धार का मार्ग प्रशस्त करते हैं. ईश्वर का पुत्र और स्वयं ईश्वर होते हुए भी वे क्रूस पर असहनीय पीड़ा सहते हैं. उनकी क्रूस मृत्यु, मानव जाति के उद्धार के निमित ईश्वर की योजना का हिस्सा था. क्रूस पर दिया गया उनका संदेश अपने सतानेवालों के लिए भी प्रेम और क्षमा का होता है. उनका संदेश पूरी मानवता के लिए है. 

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