रांची. बिहार राज्य के स्थापना दिवस पर शनिवार को राजभवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि बिहार का इतिहास न केवल गौरवशाली है, बल्कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विरासत भी प्रेरणादायक है. यह पावन भूमि भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, गुरु गोविंद सिंह, चाणक्य, सम्राट अशोक, वीर कुंवर सिंह, आर्यभट्ट, डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसी विभूतियों की रही है. यह भारतीय इतिहास और सभ्यता का केंद्र रहा है. लोकतंत्र की जड़ें बिहार के वैशाली में पनपी थीं, जिसे लोकतंत्र की जननी कहा जाता है. नालंदा और विक्रमशिला जैसे विवि ने पूरे विश्व को शिक्षा और ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया.
बिहार व झारखंड का भावनात्मक जुड़ाव अटूट
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को अविभाजित बिहार से अलग होकर हुआ. दोनों राज्य केवल भौगोलिक रूप से अलग हैं, लेकिन उनकी संस्कृति, परंपराएं, भाषाएं और सामाजिक मूल्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. झारखंड और बिहार की साझी विरासत और घनिष्ठ संबंध सशक्त करते हैं. राज्यपाल ने कहा कि बिहार की श्रमशक्ति, ज्ञान और नवाचार की क्षमता पूरे देश के विकास में योगदान दे रही है. केंद्र सरकार ने बिहार के विकास के लिए कई योजनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि बिहार और झारखंड प्रशासनिक रूप से दो अलग-अलग राज्य हो सकते हैं, लेकिन हमारी आत्मीयता और भावनात्मक जुड़ाव अटूट है. इससे पूर्व राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी ने आगंतुकों का स्वागत किया. इस अवसर पर सीसीएल के महाप्रबंधक राजीव रंजन, मेकन के महाप्रबंधक दिनेश कुमार मिश्रा, 23 इंफ्रेंट्री डिविजन के हवलदार गौरव कुमार आदि ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम को बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी वर्चुअल रूप से संबोधित किया.
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