रांची. वन विभाग के अधिकारी अपनी ही जमीन की सुरक्षा करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के बाद वन अधिकारियों ने जमीन पर न तो अपना बोर्ड लगाया और न ही ट्रेंच काट कर उसकी घेराबंदी की. वह सिर्फ जमीन को वनभूमि बताकर अपना दावा पेश करते रहे. तेतुलिया मौजा की जारी जांच के दौरान बोकारो की डीसी विजया जाधव राव ने वन विभाग को लिखे पत्र में इस बात का उल्लेख किया है.
वन विभाग की कार्यशैली पर उठाया सवाल
तेतुलिया स्थित जमीन पर कानूनी लड़ाई और विभाग द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की सीआइडी जांच जारी है. जिसमें यह बार-बार कहा जा रहा है कि जमीन पर अवैध कब्जा करनेवाले लोग बोर्ड लगा कर जमीन बेच रहे हैं और निर्माण कार्य कर रहे हैं. इस सिलसिले में किये जा रहे पत्राचार के बाद डीसी विजया जाधव राव ने पत्र लिख कर वन विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया है.
घेराबंदी करने में दिलचस्पी नहीं दिखायी
डीसी ने वन विभाग को लिखे गये पत्र में कहा है कि वर्ष 2016 में तेतुलिया की जमीन की जांच भू-राजस्व विभाग ने करायी थी. इससे संबंधित रिपोर्ट नौ जून 2016 को सौंपी गयी थी. जांच के समय वन विभाग की ओर से सहायक वन संरक्षक उपस्थित थे. इस दौरान वन विभाग की ओर से यह कहा गया था कि तेतुलिया मौजा के खाता 59, प्लॉट 426,450 में शामिल जमीन प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट है. इससे संबंधित गजट बिहार सरकार द्वारा 1958 में प्रकाशित किया गया था. लेकिन वन विभाग ने अपनी इस महत्वपूर्ण जमीन की घेराबंदी करने में दिलचस्पी नहीं दिखायी. डीसी के पत्र में कहा गया है कि भू-राजस्व विभाग की जांच रिपोर्ट के आलोक में संबंधित जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था. अतिक्रमण मुक्त कराये जाने के बाद भी वन विभाग के अधिकारियों ने अपनी जमीन की घेराबंदी नहीं की. न ही बोर्ड लगाया. इससे यह प्रतीत होता है कि वन विभाग के अधिकारी अतिक्रमणकारियों के साथ मिले हुए हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

