रांची.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की नसीहत के बाद भाजपा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के पास डीजीपी की नियुक्ति पर सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं बचता है. उन्होंने कहा कि अदालत ने मरांडी की अवमानना याचिका को महत्वहीन ठहराया था. कहा था कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के लिए कोर्ट में याचिका नहीं दायर करनी चाहिए. श्री पांडेय ने याद दिलाया कि भाजपा नेताओं के अनुसार, अदालत की टिप्पणी के बाद ही मरांडी ने स्वेच्छा से अपना मामला वापस ले लिया था. श्री पांडेय ने कहा है कि जब सर्वोच्च अदालत ने कह दिया है कि यह मामला दो अधिकारियों के बीच प्रतिद्वंद्विता जैसा है, तब प्रेस के मंच से सरकार और पुलिस पर आरोप लगाकर मरांडी आखिर क्या साबित करना चाहते हैं?उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार हमेशा संवैधानिक संस्थाओं और न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करती है. डीजीपी नियुक्ति का मुद्दा अभी अदालत में विचाराधीन है और सरकार उसी के अनुरूप आगे बढ़ रही है. उन्होंने चेतावनी दी है कि विपक्षी नेताओं को आलोचना करते समय भाषा की मर्यादा बनाये रखनी चाहिए. लोकतंत्र में विपक्ष का मतलब असंयमित बयानबाजी नहीं है. यदि मरांडी को सचमुच पुलिस व्यवस्था की चिंता है, तो उन्हें अदालत के फैसलों और संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करना चाहिए.
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