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RIMS News : रिम्स की कंडम बिल्डिंग तोड़ कर बनेगा ट्रॉमा सेंटर का नया विंग

रिम्स प्रशासन ट्रॉमा सेंटर के विस्तार की योजना पर काम कर रहा है. योजना के तहत ट्रॉमा सेंटर के बगल की कंडम घोषित की जा चुकी बिल्डिंग को तोड़कर यहां ट्रॉमा सेंटर के लिए 100 बेड नया विंग बनाया जाना है. हालांकि, योजना को लेकर शुरुआती दौर की बातचीत हुई है.

रांची. रिम्स प्रशासन ट्रॉमा सेंटर के विस्तार की योजना पर काम कर रहा है. योजना के तहत ट्रॉमा सेंटर के बगल की कंडम घोषित की जा चुकी बिल्डिंग को तोड़कर यहां ट्रॉमा सेंटर के लिए 100 बेड नया विंग बनाया जाना है. हालांकि, योजना को लेकर शुरुआती दौर की बातचीत हुई है. अगली बैठक में योजना का प्रस्ताव और प्राक्कलन राशि आदि तय किया जायेगा. इसके बाद इसे रिम्स की शासी परिषद की 60वीं बैठक में रखा जायेगा.

फिलहाल 100 बेड हैं ट्रॉमा सेंटर में

सूत्रों के अनुसार, ट्रॉमा सेंटर के नये विंग में क्रिटिकल केयर की आइसीयू समेत अन्य वार्ड बनाये जायेंगे. फिलहाल, ट्राॅमा सेंटर की मौजूदा बिल्डिंग में क्रिटकल केयर के लिए 50 और सेंट्रल इमरजेंसी के लिए 50 बेड की व्यवस्था है. वहीं, रोजाना ट्रॉमा सेंटर में 260 से 280 मरीज आते हैं, इनमें से 90 प्रतिशत मरीजों को तत्काल भर्ती करने की जरूरत होती है. भर्ती किये गये मरीजों को इनडोर में बेड की उपलब्धता के आधार पर लगातार सेंट्रल इमरजेंसी और क्रिटिकल केयर से इनडोर में शिफ्ट करने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. इसके बावजूद यहां बेड की कमी बनी रहती है और मरीजों को बेड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. कई गंभीर मरीज तो घंटों एंबुलेंस में ही पड़े रहते हैं. ऐसे में यदि ट्रॉमा सेंटर का अतिरिक्त विंग तैयार हो जाता है, तो सेंट्रल इमरजेंसी और क्रिटिकल केयर में बेड की समस्या से काफी हद तक निजात मिलेगी. मरीजों को बेड के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा. सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अभी रिम्स के प्रशासनिक भवन के पास की कंडम बिल्डिंग को तोड़ने का काम चल रहा है. इसके बाद निविदा निकालकर एजेंसी का चयन किया जायेगा और ट्रॉमा सेंटर के पास की बिल्डिंग को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.

जर्जर बिल्डिंग से बीएसएनएल का ऑफिस हटाना बड़ी चुनौती

ट्रॉमा सेंटर के पास की बिल्डिंग को रिम्स प्रशासन छह महीने पहले ही कंडम घोषित कर चुका है. हालांकि, अब भी इसमें बीएसएनएल का कार्यालय संचालित हो रहा है. रिम्स प्रशासन के लिए इस कार्यालय को शिफ्ट करना बड़ी चुनौती है. अस्पताल प्रशासन लगातार बीएसएनएल से बिल्डिंग खाली करने का आग्रह कर रहा है, लेकिन बीएसएनएल के अधिकारी तैयार नहीं हो रहे हैं. वे अस्पताल परिसर के ही किसी बिल्डिंग में कार्यालय के लिए खाली जगह मांगा रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन इसके तैयार नहीं हो रहा है.

शुरुआती दौर में है यह योजना

रिम्स के संपदा पदाधिकारी डॉ शिवप्रिये ने कहा कि रिम्स प्रशासन मरीजों के लिए सुविधाओं के विस्तार को लेकर प्रतिबद्ध है. ट्रॉमा सेंटर के पास की कंडम घोषित की जा चुकी बिल्डिंग को तोड़ कर यहां ट्रॉमा सेंटर के लिए नये विंग के निर्माण पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, अभी योजना पर शुरुआती चर्चा ही चल रही है. योजना पर अमल होता है, तो ट्रॉमा सेंटर में आनेवाले मरीजों को बेड की दिक्कत नहीं होगी.

…इधर, रिम्स बिल्डिंग के भार वहन की क्षमता जांचेगी टीम

रांची. रिम्स की पुरानी बिल्डिंग कितना भार वहन क्षमता की जांच की जायेगी. इसकी जांच बेसमेंट से की जायेगी. इसके लिए आइआइटी धनबाद की टीम ने रिम्स प्रशासन को बेसमेंट में आठ से 10 प्वाइंट चिह्नित करने का निर्देश दिया है. रिम्स को बेसमेंट की सफाई कराने को भी कहा गया है. हालांकि, बेसमेंट में अब भी कई जगह पानी जमा है, जिसे निकालना चुनौतीपूर्ण है. सूत्रों के अनुसार, चिह्नित जगहों पर आइआइटी की टीम अपनी अत्याधुनिक मशीन का उपयोग कर बिल्डिंग की भार वहन क्षमता का पता लगायेगी. वहीं, आइआइटी धनबाद ने रिम्स प्रशासन को स्पष्ट कर दिया है कि उसकी टीम शनिवार को ही रिम्स बिल्डिंग की जांच के लिए आयेगी. अन्य कार्य दिवस में उसके लिए आना संभव नहीं है. इधर, आइआइटी को इस कार्य के लिए 20 लाख रुपये देने पर सहमति बन गयी है. ट्रेजरी के माध्यम से यह पैसा चार-पांच दिनों में आइआइटी को उपलब्ध करा दिया जायेगा.

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