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कोयला खदानों की सुरक्षा में भी काम करेगी एनडीआरएफ की टीम

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) भविष्य में कोयला खदानों में भी आपातकालीन बचाव कार्य की तैयारी कर रही है.

प्रतिनिधि, डकरा राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) भविष्य में कोयला खदानों में भी आपातकालीन बचाव कार्य की तैयारी कर रही है. इस उद्देश्य से बल का एक उच्च स्तरीय 10 सदस्यीय टीम शुक्रवार को एनके एरिया के कोयला खदानों का निरीक्षण किया. टीम के सदस्यों का सबसे ज्यादा फोकस चूरी भूमिगत कोयला खदान को लेकर था. यह खदान जमीन के भीतर लगभग चार किलोमीटर अंदर है और कई मायनों में देश का प्रतिष्ठित कोयला खदानों में इसकी गिनती होती है. टीम के सदस्य तेज प्रताप तिवारी, शैल लखानी, रणविजय कुमार सिंह, अमरेन्द्र कुमार, अली मुल्ला, रंजन कुमार, प्रमोद कुमार, कृष्णा कुमार, गोरखनाथ सिंह और मनीष कुमार की टीम सबसे पहले सुभाषनगर स्थित माइंस रेस्क्यू स्टेशन गयी. जहां रेस्क्यू अधीक्षक रामानंद यादव से रेस्क्यू ऑपरेशन और उनसे जुड़े मशीनरियों की जानकारी ली. टीम के सदस्य यह जानना चाह रहे थे कि भूमिगत कोयला खदान में किसी हादसे के बाद किस तरह रेस्क्यू टीम ऑपरेशन को अंजाम देती है. बाद में सभी चूरी खदान के भीतर जाकर वहां के काम और संभावित दुर्घटनाओं को लेकर चर्चा की और उसके बचाव में एनडीआरएफ की टीम की भूमिका का अध्ययन किया. सदस्यों ने बताया कि एनडीआरएफ आपदा प्रतिक्रिया के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित एक विशेष बल है. यह भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों और कर्मियों द्वारा संचालित है. भविष्य में कोयला खदानों की सुरक्षा को लेकर टीम की क्या भूमिका हो सकती है, इसके बारे में जानकारी ली गयी है. जायजा लेने का सिलसिला जारी रहेगा, ताकि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर योगदान दिया जा सके. इस अवसर पर क्षेत्र के कई सीसीएल अधिकारी मौजूद थे.

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