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जैनियों के तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर विवाद का केंद्र ने किया पटाक्षेप, झारखंड सरकार को दिये ये निर्देश

Sammed Sikhar Dispute Resolved| झारखंड की राजधानी रांची से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक पार्श्वनाथ पहाड़ को इको टूरिज्म क्षेत्र घोषित किये जाने का विरोध हुआ. यहां तक कि सात समंदर पार टोरंटो में भी जैन समाज के लोगों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया.

Sammed Sikhar Dispute Resolved| केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने झारखंड के गिरिडीह जिला स्थित सम्मेद शिखर जी (पारसनाथ पहाड़) को पर्यटन स्थल घोषित नहीं करने की जैन समाज की मांगों को मान लिया है. केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले पर तत्काल रोक लगा दी है. साथ ही तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन करने का ऐलान किया है, जिसमें जैन समाज के दो लोगों को शामिल किया जायेगा. कमेटी में एक व्यक्ति स्थानीय होगा.

रांची से दिल्ली, राजस्थान और टोरंटो तक हुआ विरोध-प्रदर्शन

बता दें कि पारसनाथ पहाड़ को पर्यटन स्थल और ईको टूरिज्म क्षेत्र बनाये जाने का जैन समाज के लोगों ने विरोध किया है. लगातार कई दिनों से उनका विरोध प्रदर्शन जारी है. झारखंड की राजधानी रांची से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक पार्श्वनाथ पहाड़ को इको टूरिज्म क्षेत्र घोषित किये जाने का विरोध हुआ. यहां तक कि सात समंदर पार टोरंटो में भी जैन समाज के लोगों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया.

गिरिडीह में जैन समाज के लोगों ने निकाली ‘विशाल मौन रैली’

गुरुवार (5 दिसंबर 2023) को जैन समाज के लोगों ने गिरिडीह में ‘विशाल मौन रैली’ निकाली. जैन समुदाय के विरोध-प्रदर्शन के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी और सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले पर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया. केंद्र सरकार ने भी विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए बड़ा फैसला लिया. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (वन्य जीव प्रभाग) ने चिट्ठी जारी कर कहा कि सभी पर्यटन स्थलों एवं इको टूरिज्म पर फिलहाल रोक लगायी जाती है.

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खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का झारखंड को निर्देश

केंद्र सरकार ने इको सेंसिटिव अधिसूचना खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाने की बात कही है. कहा कि तीन सदस्यों की एक निगरानी समिति बनेगी, जिसमें दो जैन समुदाय के एवं एक स्थानीय व्यक्ति को शामिल किया जायेगा. केंद्र ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना, जो पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है, के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तत्काल सभी कदम उठाये.

पारसनाथ पर्वत क्षेत्र में इन चीजों पर है प्रतिबंध

इन प्रावधानों के तहत पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध है. इतना ही नहीं, तेज संगीत बजाने या लाउडस्पीकर के उपयोग पर भी रोक है. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों जैसे पवित्र स्मारकों, झीलों, चट्टानों, गुफाओं और मंदिरों में या उसके आसपास हानिकरक वनस्पतियों या जीवों, पर्यावरण प्रदूषण के कारण, जंगलों, जल निकायों, पौधों, जानवरों के लिए हानिकारक काम करना या ऐसे स्थलों की प्राकृतिक शांति को भंग करना मना है.


पालतू जानवरों के साथ जाने पर भी है प्रतिबंध

प्रावधान के तहत पालतू जानवरों के साथ ऐसे स्थलों पर आना और पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर अनधिकृत कैंपिंग एवं ट्रैकिंग आदि की अनुमति नहीं है. केंद्र ने झारखंड सरकार के पर्यटन, कला, संस्कृति, खेल एवं युवा मामलों के विभाग से कहा है कि वह पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब एवं मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री एवं उसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करवाये.

जैन मुनि ने दी थी उग्र आंदोलन की चेतावनी

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने के बाद से विवाद बढ़ता जा रहा था. राजस्थान की राजधानी जयपुर में जैन मुनि आचार्य शशांक ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में जैन समाज अभी अहिंसक तरीके से आंदोलन कर रहा है. अगर सरकार ने जैनियों की बातें नहीं सुनीं, तो उग्र आंदोलन भी किया जायेगा.

सुज्ञेयसागर महाराज ने त्याग दिये प्राण

बता दें कि जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाये जाने के झारखंड सरकार के फैसले का विरोध कर रहे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने 10 दिन के अनशन के बाद 3 जनवरी को राजस्थान के सांगानेर में अपने प्राण त्याग दिये. 72 वर्षीय सुज्ञेयसागर महाराज ने 25 दिसंबर को ही आमरण अनशन शुरू कर दिया था. उन्हें सांगानेर में समाधि दी गयी.

सम्मेद शिखर का महत्व

सम्मेद शिखर को झारखंड का हिमालय माना जाता है. इस पहाड़ पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है. जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकर हुए, उनमें से 20 तीर्थंकरों ने यहीं पर मोक्ष की प्राप्ति की. जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को भी यहीं निर्वाण की प्राप्ति हुई थी. इसलिए इसे पार्श्वनाथ पहाड़ के नाम से भी जाना जाता है. जैन समाज के पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु या तो पैदल जाते हैं या डोली से जाते हैं. जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्ते से होते हुए सम्मेद शिखर तक पहुंचने के लिए लोगों को 9 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है.

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