रांची. सिदो-कान्हू की जयंती पर शुक्रवार को मुंडा सभा की केंद्रीय समिति ने उन्हें याद किया. इस मौके पर मोरहाबादी स्थित सिदो कान्हू पार्क में संताल हूल के नायकों को श्रद्धांजलि दी गयी. इस अवसर पर मुंडा सभा के महासचिव बिलकन डांग ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि 11 अप्रैल 2025 के दिन ना तो सामाजिक संगठनों और न ही राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने सिदो-कान्हू को याद किया.
1855 के हूल विद्रोह में हजारों लोग शहीद हुए
उन्होंने कहा कि जिस तरह अमर शहीद भगवान बिरसा मुंडा की जयंती धूमधाम से मनायी जाती है, उसी तरह सिदो-कान्हू की जयंती भी धूमधाम से मनाने की जरूरत है. जिस तरह भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान किया था, उसी तरह सिदो-कान्हू ने भी संताल विद्रोह ”हूल” का नेतृत्व किया था. उन्होंने कहा कि 1855 का हूल विद्रोह पूरे भारत में एक महत्वपूर्ण विद्रोह माना जाता है. 1855 के हूल विद्रोह में हजारों लोग शहीद हुए थे. इस मौके पर सभा के सचिव प्रभु सहाय सांगा सहित अन्य वक्ताओं ने भी विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम में पौलूस, सोसन समद, रोयल डांग, जगरन्नाथ मुंडू, आसियान सुरीन, सोमरा होरो, दास टोपनो और ए लोमगा आदि उपस्थित थे.
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