Suicide in Jharkhand: हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है. यह दिन इसलिए बेहद खास है क्योंकि यह दिन हमें याद दिलाता है कि जीवन अनमोल है और हर कठिनाई का समाधान संभव है. मानसिक तनाव, अवसाद और अकेलेपन से जूझ रहे लोग अक्सर आत्महत्या को ही आखिरी रास्ता मान लेते है. लेकिन, जागरूकता, संवेदनशीलता और समय पर सहयोग से किसी की जिंदगी बचायी जा सकती है.
आत्महत्या के मामलों में अप्रत्याशित इजाफा
झारखंड में भी आत्महत्या के मामले काफी चिंताजनक है. हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में आत्महत्या के मामलों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में आत्महत्या के मामले बेरोजगार युवकों और विद्यार्थियों में सबसे अधिक दर्ज किये गये हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार कुल 720 बेरोजगारों ने आत्महत्या की. इनमें 584 पुरुष और 136 महिलाएं शामिल हैं. यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बेरोजगारी और असुरक्षित भविष्य आज युवाओं को गहरे मानसिक संकट की ओर धकेल रहा है.
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विद्यार्थियों को सता रही भविष्य की चिंता!
वहीं झारखंड में आत्महत्या के मामले में विद्यार्थियों का वर्ग दूसरे स्थान पर है. कुल 824 छात्रों ने आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया. इसमें 465 पुरुष और 359 महिलाएं थीं. पढ़ाई का बढ़ता दबाव, प्रतिस्पर्धा, पारिवारिक अपेक्षाएं और करियर को लेकर अनिश्चितता इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं. वहीं तीसरे स्थान पर घरेलू महिलाएं (हाउस वाइफ) हैं. 177 महिलाओं ने आत्महत्या की, जो दर्शाता है कि घरेलू जीवन में तनाव, हिंसा और सामाजिक दबावों के चलते महिलाएं मानसिक रूप से टूट रही हैं. एनसीआरबी के अनुसार देश में परीक्षा में असफलता के कारण आत्महत्या वाले मामलों में महाराष्ट्र (378), मध्य प्रदेश (277) के बाद झारखंड 174 मामले के साथ तीसरे स्थान पर है.
झारखंड में आत्महत्या करने वाले वर्ग
| वर्ग | महिला | पुरुष |
| दैनिक मजदूर | 02 | 124 |
| कृषि मजदूर | 00 | 07 |
| व्यापारी | 13 | 130 |
| स्व रोजगार | 13 | 130 |
| बेरोजगार | 136 | 584 |
| विद्यार्थी | 359 | 465 |
| पीएसयू कर्मी | 05 | 26 |
| पीएसइ कर्मी | 16 | 109 |
| राज्य कर्मी | 00 | 03 |
| केंद्र कर्मी | 00 | 01 |
| प्रोफेसनल्स | 21 | 148 |
| हाउस वाइफ | 177 | 00 |

