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Memories 2020 : कोरोना संकट में काम आया आम आदमी का जज्बा, जोश और जुनून, कुछ इस तरह लोगों ने चुनौतियों का किया सामना

कोरोना संकट में काम आया आम आदमी का जज्बा

रांची : जिस वक्त झारखंड और पूरा देश कोरोना महामारी से संघर्ष कर रहा था, उस समय आम आदमी का जज्बा काम आया. कोरोना के खौफ के बीच परदेस में फंसे प्रवासी मजदूर और कामगार जब अपने घर लौटने की छटपटाहट में थे, तो कई लोगों ने अपने दम पर उन्हें अपने परिजनों तक पहुंचाने में मदद की. वहीं, कई लोगों ने सड़क पर उतर कर मायूस व थके-हारे लोगों को आसरा दिया और उनके खाने-पीने का इंतजाम किया.

कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने कोरोना के खौफ का फायदा उठाकर जांच व इलाज के नाम पर मनमाना पैसे वसूलनेवाले जांच घरों और अस्पतालों की असलियत सरकार और न्यायालय के सामने रखी. पेश है मुख्य संवाददाता राजीव पांडेय की िरपोर्ट…

कोरोना से मिलकर लड़े हम

परदेस में फंसे लोगों को अपनों तक पहुंचाया, गरीबों के घर तक राशन पहुंचाया

अस्पतालों में दी सेवा, भूखे इंसानों व लावारिस जानवरों को खिलाया खाना

जांच और इलाज के मनमाने खर्च का मुद्दा सरकार और न्यायालय तक पहुंचाया

घर लौटने में मजदूरों व स्टूडेंट्स की मदद की

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में जब कोरोना जांच की दर 4500 रुपये थी और इलाज लाखों रुपये में होता था. जब आम आदमी निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज कराने की सोच भी नहीं सकता था, उस वक्त लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा ने सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया.

उन्होंने देश व अन्य राज्यों में कोरोना जांच की दर कम होने व इलाज सस्ता किये जाने से अवगत कराया. राज्य सरकार ने भी मुद्दों की अहमियत को समझता और निजी जांच घरों में कोरोना की जांच दर 400 रुपये और कोरोना मरीजों के इलाज की दर अधिकतम 9000 रुपये तक तय कर दी.

वहीं, पवन कुमार कनोई ने धूप में हजारों किमी की दूरी पैदल तय कर रहे लोगों को वाहन मुहैया कराया. वहीं, सरकार ने प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज, ट्रेन और सड़क मार्ग द्वारा घर पहुंचाया. समाजसेवी पवन कुमार कनोई का व्यक्तिगत प्रयास भी सराहनीय है.

लेकिन लॉकडाउन के समय उनके व्यक्तिगत प्रयास से हजारों मजदूर झारखंड पहुंच पाया. कॉल सेंटर की तरह काम कर स्टूडेंट्स और प्रवासी मजदूरों को मदद पहुंचाया. सरकारी प्रयास के सहयोग से बेंगलुरु, तमिलनाडु और कर्नाटक में फंसे लोग घर पहुंच पाये. इसके अलावा बेंगलुरु में इलाज के लिए गये मरीज व उनके परिजनों को वापस घर लौटने में मदद की. सड़क मार्ग व ट्रेन से लोगों को रांची लाने में अन्य राज्यों के नियुक्त अधिकारियों से समन्वय बनाया.

वहीं, रांची में फंसे कर्नाटक के दो परिवारों को उनके घर तक पहुंचाया. उडुपी में फंसे एस्कॉन के विद्यार्थियों और संत को रांची बुलवाया. कपड़े की फैक्टरी में काम कर रहीं 40 लड़कियों को दूसरे राज्य की सरकार से सहयोग लेकर रांची लाने में मदद की. दूरदराज से रांची आये कोरोना संक्रमितों के परिजनों के रांची में रहने, ठहरने व खाने की व्यवस्था की.

Posted By : Sameer Oraon

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