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Sharad Purnima 2020: दुर्गा पूजा के पंडालों में ही होती है कोजागरी लक्ष्मी पूजा, बंगाल में रात भर जगने की है परंपरा

Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा और लक्खी पूजा इस बार 30 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जायेगा. अलग-अलग प्रांतों में इसे अलग-अलग रूप में मनाया जाता है. मिथिलांचल में जहां इसे कोजागरा कहते हैं, वहीं बंगाल में रहने वाले लक्खी पूजा के रूप में मनाते हैं. बंगाल के लोग इसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी कहते हैं. कोजागरी लक्ष्मी पूजा वाले घरों में रात भर जागने की परंपरा है.

Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा और लक्खी पूजा इस बार 30 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जायेगा. अलग-अलग प्रांतों में इसे अलग-अलग रूप में मनाया जाता है. मिथिलांचल में जहां इसे कोजागरा कहते हैं, वहीं बंगाल में रहने वाले लक्खी पूजा के रूप में मनाते हैं. बंगाल के लोग इसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी कहते हैं. कोजागरी लक्ष्मी पूजा वाले घरों में रात भर जागने की परंपरा है.

कोजागरी लक्ष्मी पूजा शुक्रवार (30 अक्टूबर, 2020) की शाम 5:20 बजे से शनिवार (31 अक्टूबर, 2020) की शाम 7:28 बजे तक की जा सकेगी. पुजारी शक्तिपद चौधरी ने कहते हैं कि शुक्रवार की शाम को पूर्णिमा लग रहा है, जो दूसरे दिन शनिवार शाम 7:28 बजे तक रहेगा. इस बीच पूजा की जा सकती है.

उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में बंग समुदाय में कोजागरी लक्ष्मी पूजा का खास महत्व है. इस पूजा को लक्खी पूजा भी कहते हैं. यह कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. विजयादशमी के पांचवें दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजा की जाती है. बंग मंडप में जहां दुर्गा पूजा का आयोजन होता है, वहां मां लक्ष्मी की पूजा निश्चित रूप से की जाती है.

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घर की महिलाएं परिवार में धनधान्य एवं खुशहाली के साथ-साथ मंगलकामना के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं. मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है. इस दिन रात भर जगने की प्रथा है. रात भर अखंड दीप जलाते हैं. कहते हैं कि इस दिन पूजा की ज्योत बुझनी नहीं चाहिए. इसलिए लोग रात भर जागते हैं.

लक्खी पूजा की खास बात यह होती है कि मां लक्ष्मी के हाथ में धान की बालियां होती हैं. मां लक्ष्मी को धान अर्पित किया जाता है, ताकि घर में अन्न का भंडार सदैव भरा रहे. किसान परिवार मां से कहते हैं कि उनकी फसल में बरक्कत हो. मां लक्खी को विभिन्न तरह के भोग चढ़ाये जाते हैं. इसमें नारियल का लड्डू (जिसे नाडु कहते हैं) मुख्य है.

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रांची में पूजा की जगह और समय

  • दुर्गाबाड़ी : शाम 7 बजे

  • देशप्रिय क्लब : रात 8 बजे

  • हरिमती मंदिर : शाम 7.30 बजे

  • मोदी कम्पाउंड लालपुर : शाम 6 बजे से

Posted By : Mithilesh Jha

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