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Karma Puja 2025: करम पर्व आज, सुबह से उपवास, शाम में करमदेव की होगी पूजा

Karma Puja 2025: आदिवासी-मूलवासियों का सबसे बड़ा पर्व करम आज बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा. पूजा में बैठनेवाली महिलाएं, युवतियां और पुरुष सुबह से ही उपवास करेंगे. दोपहर बाद अखड़ा के युवा करम डाल लाने जाएंगे. नाचते गाते डाल (करमदेव) का स्वागत किया जाएगा और उन्हें सम्मान के साथ अखड़ा में स्थापित किया जाएगा. शाम में करमदेव की पूजा होगी. प्रसाद वितरण होगा. इसी के साथ सामूहिक नृत्य शुरू होगा.

Karma Puja 2025: रांची-आदिवासी-मूलवासियों का सबसे बड़ा पर्व करम (भादो एकादशी) आज बुधवार (3 सितंबर 2025) को मनाया जाएगा. पर्व को लेकर पूरे समुदाय में हर्ष का माहौल है. पूजा में बैठनेवाली महिलाएं, युवतियां और पुरुष सुबह से ही उपवास में रहेंगे. दोपहर बाद विभिन्न अखड़ा के युवा करम डाल लाने जाएंगे. विधि पूर्व करम डाल को काटकर लाया जाएगा. नाचते गाते डाल (करमदेव) का स्वागत किया जाएगा और उन्हें सम्मान के साथ अखड़ा में स्थापित किया जाएगा. करम कथा होगी. पाहन करमदेव की पूजा कराएंगे. पूजा के बाद प्रसाद वितरण होगा और कानों में जावा फूल खोंसा जाएगा. इसी के साथ सामूहिक नृत्य की शुरुआत होगी.

अखड़ा की हो चुका है साफ-सफाई


रांची के विभिन्न पूजा समितियों द्वारा करम पूजा को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है. अखड़ा की साफ-सफाई की जा चुकी है. सहजानंद चौक स्थित देशावली में गोलाकार मंडप के बीचोंबीच करम डाल स्थापित होगा. मुख्य गेट से लेकर मंडप तक फूल व पत्तियों से सजे तोरण द्वार होंगे. मंडप के बगल में एक स्टेज बनाया जा रहा है. जहां, आनेवाले अतिथि बैठ सकेंगे. करमटोली चौक के पास स्थित छोटानागपुर ब्लू क्लब नें भी आकर्षक साज सज्जा की है. करमदेव के लिए फूलों, पत्तियों व कपड़े से बना मंडप बनाया गया है. आसपास आकर्षक विद्युत सज्जा की गयी है. चडरी सरना समिति व अन्य पूजा समितियों ने भी अपने यहां तैयारी की है.

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करम पूजा का यह है दर्शन


करम डाल की पूजा की जाती है. करम का वृक्ष आदिवासी-मूलवासियों के लिए आराध्य देव का दर्जा रखता है. इन दोनों ही समुदाय में ईश्वर प्रकृति की शक्तियों में ही निहित है. इसलिए पूजा के लिए करम की डाल लाने के लिए कई नियम व विधि का पालन होता है. पेड़ से डाल काटने से पूर्व उनसे क्षमा-याचना की जाती है.

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जावा का पूजा में इस्तेमाल


पूजा के दौरान जावा का इस्तेमाल किया जाता है. यह जावा टोकरियों में बालू में उगाये गये अनाजों के सुनहरे पीले रंग के अंकुर होते हैं. इन्हें एक सप्ताह पूर्व ही नयी टोकरियों में बालू में बोया गया था. इनमें धान, मकई, जौ, गेंहू, मडुआ, उरद, चना, मटर, सरसो के बीज शामिल थे. ये बीच अब अंकुरित हो गये हैं. पूजा के बाद इन्हें कानों में खोंसा जायेगा.

करम कथा


पूजा के दौरान करम कथा सुनायी जाती है. यह कथा जीवन में कर्म और धर्म के बीच संतुलन लाने के दर्शन पर आधारित है. जीवन में अच्छे कर्म के साथ धर्म का भी होना जरूरी है.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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