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Jharkhand: राज्यपाल रमेश बैस गये दिल्ली, राजनीतिक पंडित मान रहे हैं सियासी दौरा, राजभवन पर टिकी निगाहें

झारखंड के राज्यपाल कल मेडिकल जांच के नाम पर दिल्ली चले गये. वजह चाहे जो भी हो लेकिन राजनीतिक पंडित इसे सियासी दौरा मान रहे हैं. जहां वो दो दिनों तक रहेंगे. इस दौरान वे पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलेंगे.

रांची: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस एम्स में मेडिकल जांच के लिए शुक्रवार की सुबह विमान से दिल्ली गये, वहां वह दो दिन तक रहेंगे. दिल्ली प्रवास के दौरान श्री बैस के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की संभावना है. हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पा रही है. इधर, राज्यपाल श्री बैस के दिल्ली दौरे को झारखंड की राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा खनन लीज मामले में सीएम हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में दी गयी राय, राज्यपाल श्री बैस द्वारा इसे लेकर ली गयी विधिक सलाह तथा लिये गये निर्णय के कारण दौरे को अहम माना जा रहा है. राज्यपाल अपना निर्णय चुनाव आयोग को भेजेंगे. इसके बाद आयोग अधिसूचना जारी कर इसे झारखंड के मुख्य चुनाव अधिकारी और झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष को भेजेगा.

उल्लेखनीय है कि यूपीए को-ऑर्डिनेशन कमेटी से गुरुवार को वार्ता के दौरान राज्यपाल ने स्वीकार किया कि हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग से पत्र आया है और कानूनी राय ली जा रही है. वह अपने निर्णय से शीघ्र ही अवगत करा देंगे. इसके दूसरे दिन ही श्री बैस का दिल्ली जाना राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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झामुमो ने कहा : गृह मंत्रालय से सलाह लेने दिल्ली गये राज्यपाल

झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल रमेश बैस गृह मंत्रालय से सलाह लेने के लिए दिल्ली गये हैं. वह झामुमो प्रदेश कार्यालय में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कानून मंत्रालय से ज्यादा सलाह भाजपा के दीनदयाल मार्ग नयी दिल्ली स्थित मुख्यालय से आयेगी.

श्री भट्टाचार्य ने कहा कि राजभवन और राज्यपाल को कहीं टूलकिट न बना दिया जाये. गवर्नमेंट स्टेबल है और गवर्नेंस पॉजिटिव है, तो भाजपा समाप्त है. इसलिए तमाम टूलकिट का इस्तेमाल करते हुए इस सरकार को कैसे अपदस्थ किया जाये, इस पर भाजपा अपनी पूरी ताकत लगा रही है. सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जो ऐतिहासिक काम हुए हैं, वह भाजपा को पच नहीं रहा है. पहले हम लोग सुनते थे इडी-सीबीआइ. अब तो राज्य में इसीआइ भी देखना पड़ रहा है.

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