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मनरेगा घोटाला मामले में CM हेमंत सोरेन एक्शन में, पूजा सिंघल की भूमिका की होगी निगरानी जांच

वर्ष 2010 में खूंटी में दर्ज 16 मामलों में से स्थानीय पुलिस ने 11 मामलों की जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया था. इसमें से किसी भी मामले में पूजा सिंघल को आरोपी नहीं बनाया गया था.

मुख्यमंत्री ने खूंटी मनरेगा घोटाले में पूजा सिंघल की भूमिका की निगरानी जांच का आदेश दिया है. सरकार के स्तर से इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया गया है. इस आदेश आलोक में निगरानी अब खूंटी में 2010 में दर्ज हुए पांच मामलों में तत्कालीन उपायुक्त की भूमिका की जांच करेगी. हालांकि, सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा भेजी गयी सूचनाओं के आलोक में अब तक कोई फैसला नहीं किया है. यह मामला फिलहाल महाधिवक्ता के पास विचाराधीन है.

उल्लेखनीय है कि इडी द्वारा मनरेगा घोटाले में पूजा सिंघल की गिरफ्तारी की सूचना दिये जाने के बाद सरकार के स्तर से इस मामले में तत्कालीन उपायुक्त के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. वर्ष 2010 में खूंटी में दर्ज 16 मामलों में से स्थानीय पुलिस ने 11 मामलों की जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया था. इसमें से किसी भी मामले में पूजा सिंघल को आरोपी नहीं बनाया गया था.

पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने खूंटी में दर्ज 16 में से बचे हुए पांच मामलों की जांच निगरानी को करने का आदेश दिया था. सरकार के आदेश के आलोक में निगरानी थाने में 27 जून को पांच प्राथमिकियां (8/22, 9/22, 10/22, 11/22 और 12/22) दर्ज की गयी थीं. इसके बाद निगरानी ने 17 मार्च 2023 को ‘संशोधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम’ की धाराओं के आलोक में पूजा सिंघल के खिलाफ जांच करने की अनुमति मांगी.

संशोधित अधिनियम की धारा 17(ए)(1)(बी) में निहित प्रावधानों के तहत जांच अधिकारी को भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के लिए सरकार से अनुमति लेना आवश्यक है. इस प्रावधान के आलोक में निगरानी ने पूजा सिंघल के खिलाफ जांच करने की अनुमति मांगी. निगरानी के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने मनरेगा घोटाले में पूजा सिंघल की भूमिका की जांच का अनुमति दे दी है. लेकिन सरकार ने अभी इडी द्वारा भेजी सूचनाओं के आलोक में कोई फैसला नहीं किया है.

इडी द्वारा साझा की जानेवाली सूचनाओं के आलोक में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई जरूरी : इडी मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान मिले तथ्यों की सूचना राज्य सरकार के साथ साझा किया था. इसमें सीए सुमन कुमार के ठिकानों से जब्त 17 करोड़ रुपये के ब्योरे के अलावा छह जिला खनन पदाधिकारियों द्वारा पैसों के लेन-देन के सिलसिले में दर्ज कराया गया बयान भी शामिल था. इडी ने इससे संबंधित सूचनाएं पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत की थी.

मदन लाल चौधरी बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के आलोक में इडी द्वारा साझा की जानेवाली सूचनाओं के आलोक में राज्य सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी है. इडी द्वारा साझा की गयी सूचनाओं के आधार पर विधि विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करने की राय दी है. इसके बाद इसे महाधिवक्ता के पास भेज दिया गया है. महाधिवक्ता की राय के बाद सरकार इडी द्वारा साझा की गयी सूचनाओं के मद्देनजर कार्रवाई करने पर अंतिम निर्णय करेगी.

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