Madua Roti: झारखंड अपनी विशिष्ट संस्कृति, पारंपरिक वेशभूषा और अनोखे खान-पान के लिए देशभर में अपनी एक अलग पहचान रखता है. यहां के पर्व-त्योहार, लोकनृत्य और रीति-रिवाज जितने अनोखे हैं, उतना ही अनोखा यहां का पारंपरिक खान-पान भी है. विभिन्न पारंपरिक भोजन में से एक मडुआ रोटी यहां की थाली की शान मानी जाती है.
पोषक तत्वों से भरपूर मडुआ रोटी
मडुआ रोटी/छिलका झारखंड की एक पारंपरिक भारतीय रोटी है. मडुआ रोटी मुख्य रूप से रागी (एल्यूसिन कोराकाना) के आटे से बनाया जाता है, जिसे स्थानीय रूप से मडुआ या मंडुआ कहा जाता है. मडुआ रोटी स्वादिष्ट होने के साथ ही फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है.
वजन घटाने में मडुआ रोटी मददगार
डाइटिशियन नेहा कुमारी ने प्रभात खबर के साथ खास बातचीत में बताया कि मडुआ रोटी एक पौष्टिक आहार है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं. मडुआ रोटी वजन कम करने और हड्डियों को मजबूत करने में काफी मददगार साबित होता है. साथ ही यह पाचन क्रिया को सक्रिय रखता है. इसी कारण बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के मडुआ रोटी काफी फायदेमंद होती है.
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सीमित मात्रा में करें मडुआ रोटी का सेवन
पोषक तत्वों से भरपूर मडुआ रोटी का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए. अधिक मात्रा में मडुआ रोटी के सेवन से गैस और अपच जैसे समस्याएं हो सकती है. इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों के लिए सीमित मात्रा में इसका सेवन फायदेमंद होता है. सीमित मात्रा में मडुआ रोटी का सेवन रोजाना भी किया जा सकता है. मडुआ रोटी का सेवन हरी पत्तेदार सब्जियों और ताजे फलों के साथ करना चाहिए.
जितिया व्रत में मडुआ रोटी का महत्त्व
मडुआ रोटी न केवल एक डिश है, बल्कि जीवित्पुत्रिका/ जितिया व्रत में इसकी बेहद अहम भूमिका होती है. महिलाएं व्रत से एक दिन पूर्व नहाय-खाय की शुरुआत मडुआ रोटी खाकर ही करती है. मडुआ रोटी के साथ नोनी साग का जितिया व्रत में काफी महत्त्व होता है.
GI Tag की दौड़ में मडुआ रोटी
मालूम हो पोषक तत्वों से भरपूर मडुआ रोटी को जीआई टैग दिलाने की पहल की गयी है. इसके लिए पर्यटन विभाग, झारखंड सरकार के निर्देश पर होटल प्रबंधन संस्थान (आईएचएम) रांची ने आवेदन दिया है. अगर आवेदन स्वीकृत हुआ, तो झारखंड की मडुआ रोटी को जीआई टैग मिल जायेगा.

