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सारंडा में बुलेट पर हावी रहा है बैलेट, इस नेता के बाद किसी ने नहीं जीता लगातार दो बार से अधिक चुनाव

सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र की सीमा खूंटी लोकसभा क्षेत्र से भी जुड़ती है. ओडिशा से सटे छह थाना क्षेत्र नोवामुंडी, जामदा ओपी, जगन्नाथपुर, मंझगांव, जराईकेला और मंझारी थाना में चेकनाका लगाया गया है

चाईबासा: 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सिंहभूम (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के सारंडा वन क्षेत्र में भी चुनावी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. सारंडा जंगल की पहचान घनघोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में हो चुकी है. यहां बैलेट और बुलेट की लड़ाई में हमेशा बैलेट ही भारी पड़ा. सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र ओडिशा की सीमा तक फैला है. इस क्षेत्र की खासियत है कि बागुन सुंब्रुई के बाद कोई भी लगातार दो बार से अधिक चुनाव नहीं जीत सका है.

सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र की सीमा खूंटी लोकसभा क्षेत्र से भी जुड़ती है. ओडिशा से सटे छह थाना क्षेत्र नोवामुंडी, जामदा ओपी, जगन्नाथपुर, मंझगांव, जराईकेला और मंझारी थाना में चेकनाका लगाया गया है. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें मझगांव, चाईबासा, चक्रधरपुर, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, खरसावां व सरायकेला शामिल हैं. सभी विधानसभा सीट पर झामुमो का कब्जा है. रिपोर्ट सुनील कुमार सिन्हा की.

कभी बागुन सुंब्रुई का एकछत्र राज था सिंहभूम में

चाईबासा : सिंहभूम पहली बार 1957 में लोकसभा सीट बना. तब से लेकर अब तक तमाम दलों को सारंडा ने मौका दिया है. कभी यहां बागुन सुंब्रुई जैसे नेता का एकछत्र राज था. चुनाव को लेकर सभी दल जमीनी स्तर पर तैयारियां शुरू कर चुके हैं. भाजपा का तो चुनाव कार्यालय खुल गया है. बूथ कमेटियों का गठन हो रहा है. चुनावी सभाओं के लिए तिथियां पर मंथन शुरू कर दिया है. वहीं झामुमो इस जुगत में लगा है कि लगातार दूसरी बार कांग्रेस प्रत्याशी दिल्ली नहीं पहुंचे. हालांकि अब तक तस्वीर साफ नहीं हुई है कि कांग्रेस चुनाव लड़ेगी या झामुमो अपना प्रत्याशी देगा. हालांकि कहा जा रहा है कि यदि गीता कोड़ा कांग्रेस में ही रहीं तो इस सीट पर पुन: कांग्रेस ही चुनाव लड़ेगी.
वर्ष 1996 के चुनाव में भाजपा के चित्रसेन सिंकू ने चुनाव लड़ा था.

तब पहली बार भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज कर की थी. हालांकि 1998 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विजय सिंह सोय ने भाजपा के चित्रसेन सिंकू को पराजित कर दिया था. इसके बाद 1999 में भाजपा से लक्ष्मण गिलुवा ने जीत दर्ज की. 2004 में इस सीट पर से कांग्रेस के बागुन सुंब्रुई ने जीत दर्ज की.. वर्ष 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी मधु कोड़ा ने कांग्रेस के बागुन सुंबरूई को हराकर इस सीट पर जीत दर्ज की थी.पहली बार इस सीट से कोई निर्दलीय प्रत्याशी जीता था. पर कोर्ट से सजा मिलने के बाद वह दोबारा चुनाव नहीं लड़ सके. 2014 में उनकी पत्नी गीता कोड़ा जय भारत समानता पार्टी से चुनाव लड़ीं. हालांकि भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा ने जय भारत समानता पार्टी की उम्मीदवार गीता कोड़ा को हराकर सीट छीन ली. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गीता कोड़ा ने भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा को हराकर बदला लिया. गीता कोड़ा काे 4,31,815 वोट मिले थे, जबकि लक्षण गिलुवा 3,59,660 वोट ही ला पाये.

बेरोजगारी दूर करने, पलायन रोकने व शिक्षा पर केंद्रित रहा पूरा कार्यकाल : गीता

सांसद गीता कोड़ा ने कहा है कि चुनाव में उनका मुद्दा भी बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य था. हमलोगों का प्रयास हमेशा रहा है कि जनता से किये गये वादों पर खरा उतरें. क्षेत्र में लोगों का पलायन भी हमेशा से मुद्दा रहा है. मेरा पूरा ध्यान पलायन रोकने का था. पांच साल से अस्पताल भी बन रहा है. पलायन को लेकर सरकार को लगातार सुझाव दिये. सबको शिक्षा देने के उद्देश्य से स्कूल भवन बना. उच्च शिक्षा के लिए जगन्नाथपुर में डिग्री कॉलेज बनकर तैयार है. कुमारडुंगी और मनोहरपुर में भी नयी बिल्डिंग बनकर तैयार है. युवा पढ़ाई के लिए दूसरे शहर से लेकर विदेश तक जा रहे हैं. इसी तरह खेल के क्षेत्र में भी हमारे क्षेत्र के युवा देश-विदेश में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. गीता कोडा ने कहा कि हमलोगों ने किसानों को भी लाभ पहुंचाकर उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने की बात भी कही थी. इसके लिए पूरे संसदीय क्षेत्र में सिंचाई सुविधा बहाल की गयी है. बहुत से तालाब बनवाये गये हैं. किसान तालाबों के माध्यम से सिंचाई की सुविधा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि सिंचाई सुविधा मिलने से किसान फलों व सब्जियों की खेती भी कर रहे है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है.

कोल्हान में बेरोजगारी और बंद खान इस बार बनेंगे मुद्दा

पूरे सिंहभूम में क्षेत्र में कई समस्याएं हैं. जीएसटी लागू होने से आदित्यपुर क्षेत्र में बहुत-से छोटे उद्योग बंद हो गये. लौह अयस्क की खदानें बंद हो गयी हैं. इससे बेरोजगारी बढ़ी है. युवा-युवतियां रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पर अक्सर रोजगार के लिये पलायन करने वालों की भीड देखी जा सकती है. इस चुनाव में यह सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर उभरेगा वजह कि सिंहभूम क्षेत्र खदानों के लिए जाना जाता है .यह झारखंड में दूसरा सबसे अधिक राजस्व देने वाला इलाका है .पर पिछले दो-तीन वर्षों में 30 से अधिक लौह अयस्क खदान बंद हो चुके हैं. लगभग एक लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए थे. पर आज स्थिति यह है कि सभी बेरोजगार हो चुके हैं.कई लोग तो अब पलायन करके दूसरे राज्यों में चले गये हैं. पर अब भी कुछ इस आस में है कि खदान खुलेगा और रोजगार मिलेगा. आदित्यपुर क्षेत्र में बंद फैक्ट्रियां भी अहम मुद्दा हैं. एक दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां बंद हो गयी हैं. जहां 20 से 25 हज़ार लोग काम करते थे. पर वह भी अब बेरोजगार हो गये हैं.

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