36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Jharkhand Foundation Day 2022: संसाधन-प्रतिभा की कमी नहीं, जरूरत है ईमानदार प्रयास की: बाबूलाल मरांडी

राज्य गठन के 22 वर्ष पूर्ण कर हम 23वें पायदान में कदम रख रहे हैं. इन 22 वर्षों में झारखंड ने कई राजनीतिक बदलाव देखे हैं. हमने जहां से अपनी यात्रा शुरू की थी और जिस लक्ष्य तक पहुंचना चाहिए था

राज्य गठन के 22 वर्ष पूर्ण कर हम 23वें पायदान में कदम रख रहे हैं. इन 22 वर्षों में झारखंड ने कई राजनीतिक बदलाव देखे हैं. हमने जहां से अपनी यात्रा शुरू की थी और जिस लक्ष्य तक पहुंचना चाहिए था, उसमें हम कितने सफल हो पाये हैं, यह पूरे राज्यवासियों के लिए आत्मचिंतन का विषय है. भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू जैसे असंख्य वीरों ने अपने खून-पसीने से इस धरती को सींचा है. प्रकृति के सन्निकट रहनेवाले यहां के आदिवासियों और यहां की संस्कृति में घुल-मिल चुके लोगों का समग्र विकास ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए.

एक अलग राज्य की परिकल्पना में भी इन्हीं ध्येय को केंद्रबिंदु माना गया था. अलग राज्य कहने का अर्थ केवल भौगोलिक सीमांकन ही नहीं था, बल्कि राज्य की संस्कृति और गौरव की पुनर्स्थापना था. आज झारखंड की मिट्टी की खुशबू दुनिया के हरेक कोनों में महकती है.

दूरदराज बस गये लोग भी अपनी मिट्टी से जुड़ कर गौरवान्वित होते हैं. विदेशों में बसे प्रोफेशनल्स हों या मजबूरी में पलायन कर दूसरे शहरों में मजदूरी करने को विवश झारखंड के ग्रामीण, हर कोई अपने राज्य में अवसर तलाशता है, लेकिन अलग राज्य बनने के 22 वर्षों के बाद भी राज्य के मजदूर दूसरों के खेतों में काम करने व हमारी लड़कियां दूसरों के घरों में जूठन मांजने को मजबूर हैं, तो यह आत्मावलोकन भी हमें ही करना होगा कि इन परिस्थितियों के लिए जिम्मेवार कौन है?

राज्य गठन के बाद राज्य के समग्र विकास की सामूहिक जिम्मेवारी थी़ जब श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अलग राज्य की मांग को स्वीकृत करते हुए झारखंड की आधारशिला रखी, तो एक साफ दृष्टि थी कि राज्य को विकास की दौड़ में सबसे आगे लेकर जाना है. प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य के पास संभावनाओं की कोई कमी नहीं थी. मैं तो कहता हूं कि आज भी हमारे राज्य के पास प्रतिभा और संसाधनों की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है, उचित प्रबंधन और एक ईमानदार प्रयास की़

समय के इन अंतरालों में पूरी दुनिया ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का दंश झेला है. निश्चय ही यह चुनौतीपूर्ण समय सबके लिए कठिन था, लेकिन इन चुनौतियों से बाहर निकल कर हमें फिर से अपनी लय में वापस आना होगा. जब पूरी दुनिया में कोरोना के वैक्सीन को लेकर बहस छिड़ी थी, तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए स्वदेशी वैक्सीन पर जोर दिया, जिसके फलस्वरूप हम विश्व में सर्वाधिक और सबसे तेज गति से पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने में सफल रहे हैं.

उस वक्त भी विपक्षियों ने वैक्सीन और प्रधानमंत्री जी के प्रयासों का उपहास किया, लेकिन प्रधानमंत्री जी के मजबूत इरादों ने एक कीर्तिमान रच दिया. जब इरादे नेक हों, तो चुनौतियां भी हमें आगे बढ़ने को प्रेरित करती हैं. 2019 में झारखंड में कई लोकलुभावन वादों और सपनों के साथ हेमंत सोरेन जी ने सरकार बनायी. पांच लाख युवाओं को नौकरी, किसानों की ऋण माफी जैसे मुद्दों को सामने रखकर उन्होंने लोगों के बीच उम्मीद की एक नयी किरण जगायी.

पहले तो सरकार ने कोरोना और पैसों की कमी का बहाना करके शुरुआत के एक साल व्यतीत कर दिये, उल्टे कोरोना की आड़ में विकास नहीं हुआ और भ्रष्टाचार के मामले आये. सबसे निचले स्तर से सबसे ऊपरी स्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने की संस्कृति विकसित कर ली. राज्य में प्राकृतिक संसाधन का दुरुपयोग हो रहा. विभाग के सचिव पकड़े जाते हैं, विधायक प्रतिनिधि कई अवैध खदानों के मालिक निकलते हैं,

भ्रष्टाचार की परत-दर-परत खुलती है, राजनीति का यह न्यूनतम स्तर है, जहां चोरी पकड़े जाने पर जांच से कतराना, जांच एजेंसियों को धमकाना, यहां तक की संवैधानिक ढंग से विरोध जतानेवाले विपक्ष के नेताओं को भी सबक सिखाने और मारने तक की धमकी दी जाने लगी. अपने राजनीतिक कैरियर में मैं राजनीति का यह सबसे विद्रूप चेहरा देख रहा हूं. अच्छा होता कि मुख्यमंत्री जी अपने ऊपर लगे सारे आरोपों का खुलकर जवाब देते और जांच में सहयोग करते.

मुख्यमंत्री जी को ज्ञात होना चाहिए कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ऊपर भी गुजरात दंगों को लेकर कई आरोप लगे, लेकिन उन्होंने जांच एजेंसियों का सम्मान करते हुए जांच में सहयोग किया और अंततः उन्हें क्लीन चिट भी मिली. हमारे मुख्यमंत्री जी को भी प्रधानमंत्री जी से सीखना चाहिए, जांच एजेंसियों के साथ असहयोगात्मक रवैये से वो खुद को समाज की नजरों में दोषी बन रहे हैं.

राजनीति में किसी के लिए कुर्सी स्थायी नहीं होती, लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है. जनता की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी सदैव जनता की भावनाओं के अनुरूप ही राजनीति करती है. आज लोगों की जनभावना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास की नीतियों के साथ चल रही है. राज्य की जनता अब इस भ्रष्टाचारी सरकार से मुक्ति चाहती है. आइए धरती आबा बिरसा मुंडा जी की जयंती पर संकल्प लें कि झारखंड के समग्र विकास के लिए हम अपना सर्वोत्कृष्ट योगदान देंगे. भ्रष्टाचार पर चोट करते हुए एक स्वच्छ और समृद्ध झारखंड बनाने के लिए हम कमर कस कर तैयार हों.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें