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गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बना रहा झारखंड

झारखंड में गिग वकर्स (स्विगी, जोमेटो, ओला, उबर, बिग बास्केट जैसी कंपनियों के ड्राइवर, डिलिवरी ब्वॉय जैसे कामगार) को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाया जायेगा. इसके लिए राजस्थान सरकार से संबंधित कानून की कॉपी मंगायी गयी है.

विवेक चंद्र (रांची).

झारखंड में गिग वकर्स (स्विगी, जोमेटो, ओला, उबर, बिग बास्केट जैसी कंपनियों के ड्राइवर, डिलिवरी ब्वॉय जैसे कामगार) को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाया जायेगा. इसके लिए राजस्थान सरकार से संबंधित कानून की कॉपी मंगायी गयी है. उसके आधार पर श्रम विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. चुनाव के बाद उसे कैबिनेट की सहमति के लिए भेजा जायेगा. राजस्थान और कर्नाटक के बाद झारखंड गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बनानेवाला देश का तीसरा राज्य बन जायेगा. फिलहाल, भारत में केवल राजस्थान में गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून विधानसभा से पारित कराया गया है. वहीं, कर्नाटक में भी यह कानून अभी ड्राफ्ट स्टेज पर है.

नियोक्ताओं से वसूला जायेगा अंशदान :

गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए उनके नियोक्ताओं को अंशदान करना होगा. राज्य सरकार द्वारा तैयार किये जा रहे कानून में गिग वर्कर्स के लाभार्थ राज्य सरकार द्वारा किये जाने वाले आर्थिक सहयोग के अलावा नियोक्ताओं से भी अंशदान वसूलने से संबंधित प्रावधान किया जा रहा है. इसके अलावा ओवरटाइम या किसी दुघर्टना समेत अन्य स्थितियों के लिए भी प्रावधान किया जायेगा. विभाग में निबंधन कराने वाले गिग वर्कर्स राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थी होंगे. निबंधन नहीं कराने वालों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

इटली से लौट कर अधिकारियों ने बनायी योजना :

गिग वर्कर्स के कल्याणार्थ दुनिया भर में किये जा रहे कार्यों की जानकारी लेने इसी वर्ष मार्च में राज्य के श्रम सचिव मुकेश कुमार व श्रमायुक्त संजीव कुमार टोप्पो इटली गये थे. इटली के तुरिन शहर में गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा पर आइएलओ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेकर दोनों अधिकारी वापस लौट गये हैं. उसके बाद ही राज्य में भी गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने का फैसला किया गया.

लगभग एक लाख है गिग वर्कर्स की संख्या :

राज्य में लगभग सभी शहरों में गिग वर्कर्स काम कर रहे हैं. हालांकि, अब तक श्रम विभाग ने इसका कोई सर्वे नहीं कराया है. परंतु, विभागीय सूत्र गिग वर्कर्स की अनुमानित संख्या लगभग एक लाख बताते हैं. वर्तमान में इन सभी गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के पास कोई योजना लागू नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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