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Jharkhand Budget 2021-22 Update : झारखंड का कैसा होगा बजट, किस सेक्टर को मिलेगी प्रथामिकता ? राज्य वित्त के मंत्री रामेश्वर उरांव ने बताया

rameshwar oraon exclusive on jharkhand budget 2021-22 : वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि तीन मार्च को विधानसभा में पेश होनेवाले बजट में जनता पर किसी तरह के नये टैक्स का बोझ नहीं डाला जायेगा. करीब एक वर्ष तक के ‘कोरोना संक्रमण काल’ में राज्य की जनता ने कई मुश्किलें झेली हैं. राज्य की जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ कांग्रेस गठबंधन को स्पष्ट बहुमत दिया है. राज्य सरकार जन आकांक्षाओं पर पूरी तरह खरी उतरेगी और आगामी बजट में किसी प्रकार का अतिरिक्त बोझ नहीं डालते हुए राज्य की जनता को राहत देने का प्रयास करेगी. वित्त मंत्री से आगामी बजट को लेकर सतीश कुमार ने विस्तृत बातचीत की. प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश...

jharkhand budget 2021-22 latest news in hindi, rameshwar oraon latest ineterview in hindi रांची : वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि तीन मार्च को विधानसभा में पेश होनेवाले बजट में जनता पर किसी तरह के नये टैक्स का बोझ नहीं डाला जायेगा. करीब एक वर्ष तक के ‘कोरोना संक्रमण काल’ में राज्य की जनता ने कई मुश्किलें झेली हैं. राज्य की जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ कांग्रेस गठबंधन को स्पष्ट बहुमत दिया है. राज्य सरकार जन आकांक्षाओं पर पूरी तरह खरी उतरेगी और आगामी बजट में किसी प्रकार का अतिरिक्त बोझ नहीं डालते हुए राज्य की जनता को राहत देने का प्रयास करेगी. वित्त मंत्री से आगामी बजट को लेकर सतीश कुमार ने विस्तृत बातचीत की. प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश…

Qसरकार बनी थी, तब श्वेतपत्र के जरिये आर्थिक स्थिति की जानकारी दी गयी. वर्तमान आर्थिक स्थिति कैसी है?

जब सरकार बनी थी, तब खजाना खाली था. लॉकडाउन में काम-काज बंद हो गये थे. इसका असर आर्थिक स्थिति पर भी पड़ा. लॉकडाउन खत्म होने के बाद गतिविधियां बढ़ीं. आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है. विकास व कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से चलाया जा रहा है. इसके बावजूद, अब भी राज्य की आर्थिक स्थिति बेहतर तो नहीं कही जा सकती है.

Qकोविड में अर्थव्यवस्था किस हद तक प्रभावित हुई?

देखिए, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मापने के तीन पैमाने होते हैं. पहला होता है एग्रीकल्चर सेक्टर, दूसरा इंडस्ट्री व तीसरा सर्विस सेक्टर. कोविड व लॉकडाउन के दौरान इंडस्ट्री व सर्विस सेक्टर पूरी तरफ प्रभावित हुए. सिर्फ एग्रीकल्चर सेक्टर में ही काम हो पाया. इससे देश के साथ-साथ झारखंड की भी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई. जो लोग राज्य से बाहर रोजगार के लिए गये थे, वे लौट गये. हजारों लोगों के रोजगार चले गये. आमदनी खत्म होने से लोगों की क्रय शक्ति कम हो गयी.

Qअगले वित्तीय वर्ष में ग्रोथ रेट कैसा रहने का अनुमान है?

देश के ग्रोथ रेट के साथ-साथ राज्य का भी ग्रोथ रेट प्रभावित होता है. कोविड के दौरान देश का ग्रोथ रेट घट कर ‘-23%’ तक चला गया था. इसका असर राज्य पर भी पड़ा. अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. छोटे-छोटे उद्योगों में काम-काज शुरू हो गया है. अगले वित्तीय वर्ष में कोविड के पहले की स्थिति वाले ग्रोथ रेट तक पहुंचने का हमारा प्रयास रहेगा.

Qराजस्व सुधार के लिए बजट में क्या कदम उठाये जा रहे हैं? क्या सरकार जनता पर सीधा टैक्स लगाने का विचार कर रही है?

देखिए, तीन मार्च को झारखंड सरकार की ओर से विधानसभा में बजट पेश किया जायेगा. अभी हम खुल कर यह नहीं बता सकते हैं कि राजस्व में सुधार के लिए क्या-क्या कदम उठाये जायेंगे. हम राजस्व बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. बजट में इसका विस्तार से उल्लेख किया जायेगा. अभी इसे बताना उचित नहीं होगा. हां, इतना कह सकते हैं कि जनता पर किसी प्रकार से सीधे नये टैक्स का बोझ नहीं डाला जायेगा.

Qक्या यह बजट वास्तविकता के करीब रहेगा?

किसी भी राज्य का बजट अनुमान के तहत बनाया जाता है. अलग-अलग हेड में बजट में राशि का प्रावधान किया जाता है. सितंबर माह में जाकर वास्तविक स्थिति का पता चलता है. इसके बाद ही इसे पुनरीक्षित किया जाता है. सरकार का प्रयास होगा कि बजट वास्तविकता के करीब हो.

Qबजट में क्या जनता के लिए कोई नयी या विशेष योजना रहेगी?

हम इतना ही कह सकते हैं कि जिससे लोगों का जनजीवन चलता है, उन सेक्टरों को बजट में प्राथमिकता दी जायेगी. इसमें वैसी योजनाएं होंगी, जिससे जनता का पेट भरे. लोगों की प्यास बुझे. लोगों को रोजगार और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले.

Qऋण माफी योजना से क्या कृषि के विकास के काम प्रभावित होंगे?

घोषणा पत्र के अनुरूप किसानों के ऋण माफ किये जायेंगे. कृषि के विकास के काम प्रभावित नहीं हों, इसका ध्यान रखा जायेगा.

Qआपके हालिया बयानों को लेकर भाजपा आप पर राज्य को बांटने का आरोप लगा रही है.

सीएनटी-एसपीटी एक्ट में एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के लोगों की जमीन की रक्षा को लेकर प्रावधान किये गये हैं. झारखंड में ये तीनों वर्ग बहुसंख्यक हैं. भाजपा सरकार इसमें संशोधन लाकर इन वर्गों से जमीन छीनने का प्रयास कर रही थी. कांग्रेस पार्टी के विरोध के बाद रघुवर सरकार को अपने फैसले से पीछे हटना पड़ा. हम लोगों से यही कह रहे हैं कि पुरखों ने जो कहा है कि दोना देबे तो देबे, कोना नी देबे यानी बाहर आनेवाले को खाना खिलायें. स्वागत करें, लेकिन अपनी जमीन नहीं दे. इसमें क्या गलत है. हम तो इनकी जमीन रक्षा को लेकर जागरूक करने का काम कर रहे हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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